Vikas Sharma

Classics

4.2  

Vikas Sharma

Classics

रूहानी प्रेम की तलाश

रूहानी प्रेम की तलाश

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बारिश की उन बूंदों ने दर्पण के आंसुओं को अपने अंदर समाहित कर लिया, एक बारिश बाहर हो रही थी और एक दर्पण के अंदर

भरा पूरा परिवार है दर्पण का -माँ बाप -पत्नी -2 बेटियां -एक बेटा और एक हीरा (दर्पण का पालतू श्वान पर बच्चों से बढ़ कर ),पर फिर भी दर्पण अपने आपको हमेशा अकेला -तन्हा-एकाकी महसूस करता है क्यूंकि जिस प्यार की तलाश उसे है या जैसा प्यार वो चाहता है वो शायद अब किस्से -कहानियों -इतिहास की पन्नों में दर्ज होकर रह गया है 

यहाँ तो हर रिश्ता एक स्वार्थ से जुड़ा हुआ है, जब तक आपका स्वार्थ सिद्ध हो रहा है प्रेम -प्यार है नहीं तो केवल एक छत के नीचे रह कर उन रिश्तों के नाम के साथ रहने और अपनी जिम्मेदारियों के साथ औपचारिकता पूर्ण करना मात्र है 

पवित्रा ने दर्पण के कार्यालय में अभी अभी नई नौकरी ज्वाइन की थी -शिव भक्त थी वो और दर्पण के इष्ट भी शिव हैं, काम के मामले में भी वो दर्पण की ही तरह पूर्ण समर्पित थी, दोनों की खूब जमी और दोनों कब एक साथ जाकर शिवालयों पर अपनी भक्ति का प्रेम रस अर्पण करने लगे पता ही नहीं चला 

दर्पण हमेशा अपनी पत्नी अमिता में वो प्रेम ढूंढ़ता था जो केवल उसके जिस्म को ही नहीं उसकी रूह को छुए पर शादी के 25 सालों बाद भी ये हो ना पाया, दर्पण और अमिता के विचारों में भी जमीन और आसमान का अंतर था। 

कहते हैं जब इंसान का पेट खाली होता है तो वो चोरी करता है, जब इंसान अपने रिश्तों में प्रेम से अतृप्त रहता है तो बाहर प्रेम ढूंढ़ता है

दर्पण कहीं ना कहीं महसूस कर रहा था की पवित्रा उसकी रूह तक पहुँच पा रही है पर दर्पण ये भी अच्छी तरह समझता था की वो विवाहित है बाल बच्चों वाला है 

दूसरा दर्पण की निगाह में प्रेम -प्यार -मोहब्बत एक इबादत -बंदगी -समर्पण था तो वो देख पा रहा था की यहाँ इस जहाँ में सबके लिए प्रेम का मतलब केवल मात्र जिस्मानी छुअन तक सीमित रह गया था 

दर्पण महसूस करता था था की समाज में रिश्ते अधिकार मांगते हैं ,एक स्वार्थ रखते हैं जबकि दर्पण की निगाह में जहाँ प्रेम हो वहां स्वार्थ -अधिकार -अहंकार सब शून्य हो जाने चाहिए, केवल एक भाव होना चाहिए समर्पण, एक ऐसा समर्पण जो मीरा ने-रांझे ने -महिवाल ने दिखाया। 

अचानक बारिश काफी तेज हो गयी और दर्पण ने महसूस किया की वो लगभग भीग गया है -दूर कहीं से एक गाने की आवाज आ रही थी -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में -ख़ुशनसीब हैं वो जिनको है मिली ये बहार जिंदगी में।


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