Vikas Sharma

Tragedy

4  

Vikas Sharma

Tragedy

-"इंसानियत "

-"इंसानियत "

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वो बहुत धीरे धीरे से सहमता हुआ एक एक पग सम्हालता हुआ

अपने गंतव्य की ओर बड़ रहा था, कुछ लोग आते जाते

उसे जान बूझ कर धक्का देकर जा रहे थे ,

तो कुछ इस इंतजार में थे की ये अब कब गिरेगा क्योंकि वो नेत्रहीन था .....


थोड़ी देर पहले ही नगर निगम वाले पेड़ काट कर गए थे

कुछ टहनियां सड़क पर इस तरह गिरी हुई थी की

उनमें उलझ कर उसका गिरना तय था जिसका नाम प्रकाश था ....


वो टहनियों के करीब पहुँचने ही वाला था की तभी

एक कुत्ता अचानक से आया और मुँह में दबा दबा कर

टहनियों को साइड करने लगा और शुक्र है ईश्वर का की

वो इस रास्ते को पार कर गया ...


मैं ऊपर की छत से सब देख रहा था, तभी याद आया की

ये कुत्ता तो वही है जिसे अमूमन प्रकाश आते जाते कुछ ना कुछ

खाने पीने के लिए डाल दिया करते थे ....

मैं सोच में पड़ गया की असली इंसानियत हम जानवर रूपी इंसानों में है

या इन बेजुबान जानवरों रूपी वफादारों में !



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