उड़ान भाग 4
उड़ान भाग 4
"मम्मी, मम्मी जल्दी आओ। ये क्या किया आपने ?" पीहू ने झींकते हुए कहा।
"उफ्फ...अब क्या हो गया पीहू ? क्यों चिल्ला रही हो ?" राधिका अपना काम छोड़ पीहू के कमरे में जाकर बोली।
"मम्मी, आपको कितनी बार समझाया है कि मेरे सामान को हाथ मत लगाया करो। पर आप हैं कि किसी की बात सुनती ही नहीं।" पीहू ने गुस्से से कहा।
"कौन सा सामान पीहू ?" राधिका ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा।
"आपने मेरी पढ़ाई की टेबल क्यों साफ की ? उसपर कुछ ज़रूरी प्रोजेक्ट के पेपर रखे थे। अब मुझे एक भी पेपर नहीं मिल रहा।" पीहू ने गुस्से में मेज़ पर पैर मारते हुए कहा।
राधिका ने चुपचाप मेज़ के नीचे का दराज खोला और उसमें से एक फाइल निकाल कर पीहू को देते हुए बोली,"तुम्हारे सारे प्रोजेक्ट पेपर, ज़रूरी कागज़ात, सब इस फ़ाइल में हैं पीहू। थोड़ा झुक कर देख लेतीं तो मिल जाते।"
"मुझे क्या ख्वाब आ रहे हैं कि आपने कहां रखें हैं। और जब मैंने आपको कह रखा है कि आप मेरे स्टडी टेबल और अलमारी से दूर रहोगे तो आपको समझ में क्यों नहीं आता है ?" पीहू की आंखें गुस्से से लाल हो गई थीं।
"और मैंने भी तुम्हें कितनी बार समझाया है कि अपनी चीज़ों को सलीके से रखना सीखो। स्टडी टेबल की हालत बुरी हो रखी थी। इतनी धूल-मिट्टी जमी हुई थी इसपर। कोई भी चीज़ तरीके से नहीं रखी थी। और तुम्हारी अलमारी! खोलो तो सारे कपड़े गिरने लगते हैं। ये क्या तरीका है ?" राधिका भी चिल्ला पड़ी।
"आपको क्या फर्क पड़ता ? मेरी स्टडी टेबल है मेरी अलमारी है। मैं जैसे चाहूं रखूं। आपको किसने कहा है उसे साफ करने के लिए ? प्लीज़ मेरे सामान और मुझसे तो दूर ही रहिए आप। मैं खुद मैनेज कर लूंगी।" पीहू उस फ़ाइल में से अपने ज़रुरी पेपर निकालते हुए बोली।
राधिका का मन तो हुआ कि पीहू की इस बदतमीजी पर उसके गालों पर थप्पड़ जड़ दे। पर उसने तो कभी अपनी नन्ही पीहू पर हाथ नहीं उठाया तो जवान होती अपनी बच्ची पर कैसे हाथ उठा सकती थी। वो चुपचाप वहां अपने कमरे की तरफ चली गई।
"क्या हुआ ? क्यों चीख-चिल्ला रहीं थीं तुम मां-बेटी ?" राजेश ने लेपटॉप में नज़रें गढ़ाते हुए कहा।
"आपको क्या फर्क पड़ता है ? आप अपना काम करें। ये सब सिचुएशन तो मैं ही हैंडल करूंगी ना।" राधिका ने गुस्से में कहा।
राजेश लेपटॉप बंद कर उसके पास आकर बोला,"राधा, हुआ क्या है ? प्लीज़ बताओ तो सही।"
"पीहू का स्टडी टेबल साफ कर के सब कुछ सही ठंग से लगाया था। उसपर भी आपकी साहबज़ादी बिगड़ पड़ी। कोई सलीका ही नहीं है उसमें। सब सामान बिखेर कर रखती है। कल को कोई सामान खो गया तो ?" राधिका ने कहा।
"राधा, उसे जैसे अपना सामान और कमरा रखना है रखने दो।" राजेश ने कहा।
राधिका उसे हैरानी से देखते हुए बोली,"मतलब, क्या सही है और क्या ग़लत है ये मैं उसे समझाऊं ही नहीं। ये कहना चाहते हो तुम राज ?"
"राधा" राज ने उसके हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा,"कभी-कभी हमें बच्चों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए। जब वो कहती है कि उसकी चीज़ों के लिए वो स्वयं ज़िम्मेदार है तो लेने दो ना ज़िम्मेदारी। सीखने दो उसको खुद से। तभी समझ आएगी।"
राधिका को राजेश की बात कुछ हद तक सही भी लगी। तब से उसने फ़ैसला किया कि वो पीहू की अलमारी और स्टडी को हाथ भी नहीं लगाएगी।
"मैंने तुमसे कहा था ना राज कि पीहू ने दिल से माफ़ी मांगी कि नहीं ये केवल एक मां का दिल ही जानता है। नतीजा तुम्हारे सामने है।" राधिका ने नम आंखों से कहा।
राजेश को अब राधिका की बात समझ में आई। वो भी सोच में पड़ गया कि कैसे इन दोनों के रिश्तों को वापस मधुर बनाया जाए।
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"अरे, आज ये पुरानी एल्बम खोल के क्यों बैठी हो ?" राज ने बालकनी में धूप में बैठी राधिका से पूछा।
"बस ऐसे ही। आज पुरानी यादें ताज़ा करने का मन हो आया। नयी यादों में तो कुछ खास है नहीं। तो सोचा पुरानी यादों से ही दिल बहला लूं।" राधिका ने कहा।
"हम्मम, वैसे आज भी तुम उतनी ही खूबसूरत लगती हो जितनी कॉलेज में थी।" राज ने उसके नज़दीक आते हुए कहा।
"बस, हो गया आपका रोमांस शुरू राजेश बाबू!" राधिका ने एल्बम के पन्ने पलटते हुए कहा। तभी उसकी नज़र अपनी और मीरा की तस्वीर पर गयी। वो उसको हाथों से स्पर्श करती हुई बोली,"आज मीरा की बहुत याद आ रही है।"
"वैसे ये मीरा मैडम आजकल हैं कहां ? बहुत महीनों से उसकी कोई खबर नहीं आई। तुमने फोन किया क्या ?" राजेश ने कोतुहल जताते हुए पूछा।
"अरे! एक नहीं कई बार किया। पर पता नहीं ये औरत कहां गुम हो गई है। बहुत नाराज़ हूं इससे मैं।" राधिका ने उसकी तस्वीर की तरफ देखते हुए कहा।
"वैसे ऐसे तो कभी गायब नहीं होती मीरा। इंडिया आए भी उसे तीन साल हो गए। पता करना पड़ेगा। तुमने उसके हसबैंड को फोन करने की कोशिश की क्या ?" राजेश ने पूछा।
"किया था। पर नो रेस्पॉन्स।" राधिका ने कहा।
तभी अथर्व की आवाज़ से दोनों घबरा कर उठ खड़े हुए।
"मम्मी, पापा, जल्दी बाहर आओ। देखो तो कौन आया है। जल्दी आओ।"
राजेश और राधिका भागते हुए बाहर पहुंचे। राजेश ने अथर्व को डांटते हुए कहा,"इतना क्यों चिल्ला रहा है ? जान ही निकाल दी। कौन आया है ?"
तभी दरवाज़े के सामने खड़ी महिला ने हंसते हुए कहा,"राजेश बाबू, स्वागत नहीं करोगे हमारा!"
राजेश और राधिका हैरान रह गए। सामने मीरा खड़ी थी। चेहरे पर वही चिरपरिचित मुस्कान, हाथों में बैग और पूरी तरह से वेस्टर्न लुक।
"राधा, विश्वास नहीं हो रहा! देखो तो कौन आया है ?" राजेश ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा।
"आप दोनों मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं जैसे मैं कोई एलियन हूं और अभी-अभी यू.एफ.ओ से उतर कर आई हूं।" मीरा ने भी हैरानी प्रकट करते हुए कहा।
राधिका भाग कर मीरा के गले लग गई। दोनों सहेलियां बहुत समय बाद मिलीं थीं। दोनों की आंखों में नमी थी।
"कहां थी तू इतने महीनों से ? कितनी बार फोन ट्राई किए तुझे। मुझे कितनी चिंता हो गई थी।" राधिका ने शिकायतों का पिटारा खोल कर रख दिया।
"अरे! बहन थम जा। ज़रा सांस तो लेने दे मुझे।" मीरा ने कहा।
तभी पीहू अपने कमरे से निकल कर बाहर आई और बोली,"मीरा मौसी, मम्मी का तो ऐसे ही है। इनके पास शिकायतों के अलावा और कुछ नहीं होता। वेलकम टू इंडिया मौसी।"
मीरा ने पीहू को गले से लगा लिया और कहा,"तेरी मां की शिकायतों में भी प्यार झलकता है।"
अथर्व को भी गले लगा मीरा राजेश की तरफ बढ़ी।
राजेश ने उसे गले से लगाते हुए कहा,"साली साहिबा, आप तो ईद का चांद हो गई। सच में हम परेशान हो गए थे। तुम्हारी कोई खोज खबर नहीं मिल रही थी। सुबोध नहीं आए ?"
मीरा ने राजेश की बात काटते हुए कहा,"फिलहाल बहुत भूख लग रही है। मुझे खाना दो।"
"तू रूम में जाकर फ्रेश हो जा। मैं खाना लगाती हूं।" राधिका ने कहा।
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राधिका अकेले ही किचन में काम कर रही थी। तभी मीरा आई और बोली,"पीहू को भी साथ लगाया कर राधा। अब वो बड़ी हो गई है।"
राधिका ने भारी आवाज़ में कहा,"जब बच्चे बड़े हो जाते हैं ना मीरा तो वो अपनी मर्ज़ी से सब कार्य करते हैं। तू जा बैठ। मैं परोसती हूं खाना।"
मीरा समझ रही थी कि राधिका और पीहू में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। उसने उस समय चुप रहना ही उचित समझा।
खाना खाते समय मीरा ने बताया कि उसको यहां एक बहुत बड़ी कम्पनी में सी ई ओ की पोस्ट ऑफर हुई है। उसे ऑफर अच्छा लगा इसलिए उसने कबूल कर लिया।
"पर मीरा, सैलरी पैकेज तो अमेरिका की कम्पनी से कम ही है ?" राजेश ने कहा।
"हां जीजू, कम है। पर पोस्ट बड़ी है। अमेरिका की कम्पनी में इस पोस्ट तक पहुंचने में और पांच साल लग जाते। फिर अपने देश में रहने का मौका मिलेगा। और क्या चाहिए।" मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा।
राधिका को आभास हो रहा था कि मीरा कुछ छुपा रही है। पर अभी सबके सामने वो मीरा से इस बारे में बात नहीं करना चाहती थी। इसलिए रात का इंतज़ार करना ही बेहतर समझा उसने।