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Abasaheb Mhaske

Abstract

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Abasaheb Mhaske

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तू लिख अपनी कलम से ...

तू लिख अपनी कलम से ...

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तू लिख जो भी तुझे अच्छा लगे

बुरा लगे या भला लगे मगर सच्चा लगे

तुम्हे लिखना होगा दिलो जान से

सच्चाई ,नेकी और पूरी ईमानदारी से


तुम्हे लिखना होगा आखरी साँस तक

निडर होकर , दिलो को छुकर दिमागसे

चाहे कितने भी पथ पर दिक्कते आये

तुम्हे लड़ना होगा सदियों की लड़ाई 


तुम्हे लिखना होगा वीरानी हो या प्रीत

 मानवजाती के हर तबके का दुःख दर्द

निष्पक्ष होकर बनना हैं तुम्हे संजय

महाभारत जो सदियों से चलता आया


तुम्हे लिखन

ा होगा जो लगे सच और ठीक

तुझे तो विरासत में मिली हैं कलम पुरखो से

नहीं पता शाप हैं वरदान मगर लिखते रहना 

सुवर्णयुग की पहली किरण नहीं मिलती तब तक


तू लिख अपनी कलम से वो जज्बा

देश पर मर मिटनेवाला शिपाई का

वैज्ञानिक हो या वो हर एक तबका

जो लड़ता आया हैं सच्चाई की लड़ाई


तुम्हे लिखना होगा रोटी से लेकर सबकुछ

उस चाँद तक ढलते सूरज से अमावस की रात

पत्तो की सरसराहट , और कोयल का गीत

राह तकता मीत सुन्दर मनमोहक जीवनसंगीत।



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