उसने पूछा क्या तुम नाराज हो ...
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उसने पूछा क्या तुम नाराज हो इस फैसले से ?
मैं भला क्यों नाराज रहूँगा और किस किस से
दोस्तों से दुश्मनो से या अपने आप से की
उन तमाम कोशिसो के बाद भी न टूटे हौसले से
क्या हक़ हैं मुझे किसी पर नाराज होने का ?
नाराज तो उसपर हो सकते हैं जो हमारे अपने हैं
हक़ उसीपर जताया जा सकता हैं जो अहसानमंद हो
अब बस जीना हैं बची कुची आशावो को सहलाते हुए
उन तमाम कोशिशों के बावजूद भी
हम आखिर नाकामयाब रहे क्या करे ?
गलती हमारी की किस्मत का फेरा
पर फिर भी जिन्दा रहे यही क्या कम हैं
माना की हम उस मुकाम को नहीं पा सके
जब इतिहास लिखा जायेगा तो कौन जीता
कौन हारा नहीं पूछा जायेगा ,बल्कि
सच्चाई के साथ कौन था देखा जायेगा।