टूटता तारा
टूटता तारा
बहुत दिनों के बाद राजस्थान जाना हुआ। रीजनल ऑफिस में मीटिंग थी। मीटिंग ख़त्म हो जाने के बाद शाम को हमारे पड़ोसी जयकुमार जी जिनका कुछ सालों पहले इसी रीजनल ऑफिस में ट्रांसफर हुआ था उनसे मिलने का प्लान बनाया। श्रीमती जी और बच्चों ने उनके घर जाकर टीटू से मिलने को कहा था। टीटू उनके बेटे का नाम था। जब वे लोग यहाँ थे तब हम दोनों फैमिली में काफी अच्छे संबंध थे । टीटू मेरे बच्चों से हिलमिल गया था।
मैंने जयकुमार जी को फोन किया। मैंने पूछा, "टीटू कैसा है? काफी बड़ा हो गया होगा।अब भी वैसा ही शांत है?"
उन्होंने जवाब दिया, "टीटू तब भी शांत था और आज भी शांत है।" वेरी गुड कहते हुए मैंने उनका एड्रेस ले लिया।
थोड़ी ही देर में मैं उनके घर पहुंच कर हमारी बातें स्टार्ट हुयी। वे लोग मेरे बच्चों के बारे में पूछने लगे। आपके बच्चें तो बड़े हो गए होंगे कहते हुए उनकी मिसेज की आँखें तरल हो गयी। उनका मेरे दोनो बच्चों के साथ काफी लगाव था।
मैं जयकुमार जी से पूछने लगा, " टीटू कैसा है? काफी बड़ा हो गया होगा ।अब भी वैसा ही शांत है? बुलाइये न उसे। मैं मिलना चाहता हूँ। बच्चों ने स्पेशली कहा था कि टीटू के साथ सेल्फी खिंचवाना।" टीटू उनका इकलौता बेटा था।
जयकुमार जी ने कहा, "वह सो रहा है।"
उनके डिनर के लिए आग्रह करने पर मैंने कहा, "अपने बहुत खिलाया है...मुझे अब निकलना होगा। आप टीटू को ले आइये।"
थोड़ी देर में वे टीटू को लेकर आये। टीटू मेरी ओर देख रह था..बिल्कुल अजनबी निगाहों से...
टीटू ऑटिस्टिक था। जयकुमार जी की फ़ोन पर कही बात मेरे कानों मे गूँजने लगी..."टीटू बचपन मे भी शांत था और अब भी शांत है..."
मैंने झट उसके साथ एक सेल्फी ले ली... बच्चों को दिखाने के लिए...उनका प्यारा टीटू....