ठंडी रात
ठंडी रात
"मम्मी सुबह-सुबह चूल्हे के पास बैठकर चाय पीने में कितना अच्छा लगता है......." रामू चाय का गिलास अपने हाथो में पकड़ते हुए बोला।
"पागल इतनी ठंड में आग के पास अच्छा ही लगेगा ना........" देबू की आठ साल की बहन मीना ने उसको समझाया जैसे कि खुद बहुत समझदार है।
"मम्मी तुम चाय क्यों नहीं पी रही और पापा आज इतनी देर तक क्यों सो रहे हैं?" मीना ने मम्मी से सवाल किया।
"हाँ मै अभी पिऊँगी तुम्हारे पापा के साथ........" विमला ने मीना से कहकर कुछ सोचने लगी और फिर बोली, "तुम्हारे पापा रात में चार घंटे खेत में थे सुबह आए हैं तभी सो रहे हैं।"
"अरे मम्मी इतनी ज्यादा ठंड में पापा रात में खेत में क्यों थे?" देबू बोला।
"कई दिन से बिजली नहीं आई मगर खेतों में पानी देना था; डीजल इतना महंगा है कि हम इंजन चला कर खेतों में सिंचाई नहीं कर सकते तभी जब भी बिजली आती है पापा तुरंत दौड़ते हैं खेत में पानी देने के लिए......." विमला ने बच्चों को समझाया।
विमला के ससुर भी इस महामारी में बीमार हो गए तो एक खेत बेचना पड़ा उनकी जान भी नहीं बची और घर के हालत और बदतर हो गए थे।
"तुम लोग बैठो मैं तुम्हारे पापा को बिस्तर में ही चाय दे कर आती हूँ......" बोलकर विमला स्टील का गिलास अपने साड़ी के पल्लू से पकड़े हुए अंदर गई और दो-तीन आवाजें दी उसका पति नहीं उठा तो वो चिंतित हो गई। उसने अपने पति को हाथ लगा कर हिलाया, हाथ लगाते ही उसकी गर्दन पत्ते की तरह एक तरफ झूल गई।
ठंडी रात ने उसके शरीर को ही ठंडा कर दिया था शायद हमेशा के लिए।