तंज
तंज
आज शायद कोई रास्ता निकाल लिया जाए देश के ज्वलन्त घटनाओं पर I लोगों के मन में ये आशा हमेशा रहती है I
अपने सदन पर जहाँ देश के कोने-कोने से चुन कर आए सैकड़ों ज़न प्रतिनिधि अपने आसन में विराजमान होते है ,कार्यवाही शुरू होती है फिर एक एक कर अपने पाकेट में से चिट्ठा निकाल कर गणना करते हैं दिन तिथि आंकड़े सवाल पे सवाल दागा जाता है, इस मामले में शायद हमारे मिसाइलें भी पीछे छूट जाए I
फिर इस सवाल ज़वाब के बीच वो दौर शुरू होता है, जिसके लिए वे जनता द्वारा चुने जाते हैं I
तंज हाँ तंज का दौर एक दूसरे पर कसे जाते हैं एक दूसरे पर मानो कोई पार्टी अकेले ही देश में शुरू से काबिज हो,I
फिर बारी बारी से गड़े मुर्दे उखाड़ते हैं, एक दूसरे के कार्य और कार्यकाल के किये कारनामों का I अपशब्दों से सभा के महिमा का सम्मान करते हैं जो शपथ के समय निभाने का प्रण किया था I
तंज से सभा भंग तक फिर अखबारों के पन्ने पर छप कर ये मुद्दा एक दिन के लिए बंद होता है I
देश चल रहा है चलता है और समस्या भी चलते रहेंगे फिर चुनने के बाद एक जुट हो काम कर समस्या हल करने लगें तो अपना पार्टी, पार्टी कहाँ रहेगा I फिर तंज को भी चलने दीजिए I
