तेरी उम्मीद (पार्ट-3)
तेरी उम्मीद (पार्ट-3)


“चलो अब आइसक्रीम खा के आते हैं।” खाना खत्म होते ही रिया ने आदेश सुना दिया।
किस कम्बख़्त की मजाल हो सकती थी जो नाफ़रमानी कर जाये, कम से कम कुनाल की तो बिल्कुल नहीं।
इस ड्रेस के साथ ये ज्वेलरी पहनूंगी उस वाली ड्रेस के साथ वो ज्वेलरी पहनूंगी। तुम्हारे साथ इस गाने पे डांस करूंगी, मिली के साथ उस गाने पे डांस करूंगी। वजन बढ़ रहा है तो मिठाई कम खाऊंगी और भी ना जाने क्या बक बक करती हुई रिया आगे आगे और कुनाल उसके पीछे पीछे सामान उठाये चल रहा था।
“अच्छा तुम यहीं रुको मैं आइस्क्रीम ले के आती हूँ।” गाड़ी के पास आते ही रिया को ना जाने अचानक क्या सूझा, कुनाल को गाड़ी में बैठने के लिये कहकर सामने बने आइसक्रीम पार्लर की तरफ़ अकेली चली गई।
“अरे रुको यार, मैं भी आता हूँ।” साथ चलने के लिये कुनाल ने कहा पर इतना सुनने के लिए रिया वहाँ होनी भी तो चाहिये थी ना। वो तो तूफान मेल की तरह हवा हो चुकी थी। कुछ कहने सुनने का कोई फायदा भी नहीं था क्योंकि वो रिया थी बच्चों से भी गई गुज़री रिया। कुनाल गाड़ी में बैठ ही पाया था कि अचानक ही उसे कुछ हलचल सी महसूस हुई। बाहर एक अजीब तरह का शोर था।
अचानक ये क्या हुआ अभी तक तो सब ठीक था। सोचते हुए कुनाल गाड़ी से बाहर निकला ही था कि सामने से दोनों हाथों में आइसक्रीम का कोन थामे रिया आती हुई दिखाई दी। इससे पहले कि रिया उस तक पहुँच पाती माहौल में एक अजीब सी हलचल मच गई। सड़क के एक तरफ़ रिया थी और दूसरी तरफ़ कुनाल। और बीच में से गुज़र रही थी वो भीड़ जो गुस्से से भरी हुई थी। लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। सरकार से नाराज़ ये लोग अपना गुस्सा उन मासूम लोगों पर उतारने निकले थे जिनकी कोई गलती नहीं थी। कोई ज़बरन दुकानों के शटर बंद करवा रहा था, कोई दुकानों के अ
ंदर जा के तोड़ फोड़ कर रहा था तो कोई पत्थरों की बारिश। जो बच पाये बच गये और जो नहीं बच पाये वो गुस्साई हुई इस भीड़ के चंगुल में जा फसे। इतने में ही कुनाल की तरफ़ दो पत्थर आये। एक गाड़ी के पीछे वाले शीशे से जा टकराया और शीशे को तहस नहस कर गया, दूसरे के निशाने पे कुनाल खुद था पर किसी तरह निशाना चूक गया। ‘जय भीम’ ‘जय भीम’ के नारों से आकाश गूंज रहा था।
कुछ ही देर में शहर में आतंक फैलाती हुई भीड़ आंखों से ओझल हो गई। कुनाल की आँखें अब रिया को ढूढ़ने लगीं। कुछ देर पहले ही तो रिया सड़क के उस पार थी जो अब उसे दिखाई नहीं दे रही थी। घबराया हुआ कुनाल सड़क के उस पार पहुँचा। काफ़ी देर रिया को ढूढ़ा पर नहीं मिली और जब मिली तो ऐसी हालत में कि कुनाल के पूरे शरीर से जान निकल गई।
खून में लथपथ रिया बेसुध पड़ी थी। भीड़ ने रिया को भी घायल कर दिया था। सिर से अभी तक खून बह रहा था।
सब कुछ कुनाल को किसी बुरे सपने की तरह लग रहा था। अभी कुछ देर पहले ही तो रिया उसके साथ थी। कितनी खुश थी और अब आई.सी.यू. में। दिल मानने को तैयार ही नहीं था। 2 घंटे तक रिया आई.सी.यू. में रही। ये वक़्त कुनाल के लिये किसी सदी से कम नहीं रहा। टिक टिक करती घड़ी की सुइयाँ उसको गहरे और गहरे समंदर में डुबाए जा रहीं थीं।
“मि. कुनाल” डॉक्टर ने कुनाल को आवाज़ दी “ आई एम सॉरी आपकी वाइफ़ को हम बचा नहीं पाये। ज्यादा खून बह जाने की वजह से…”
बस इतना ही सुन पाया था कुनाल। इसके बाद उन्होंने क्या कहा क्या नहीं कुछ नहीं पता। बर्फ़ की तरह जम गया था और ये बर्फ़ आज तक नहीं पिघल पाई थी।
आज फिर आँखों मे ही कुनाल की सुबह हो गई थी। अलार्म पे रिया का पसंदीदा गाना बज रहा था।
“तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार करते हैं...”