तेरी उम्मीद (पार्ट-2)
तेरी उम्मीद (पार्ट-2)


जितनी खूबसूरत थी रिया उससे भी ज्यादा शैतान। अभी तक बचपना नहीं गया था उसका। जहाँ भी जाती थी कोई ना कोई मुसीबत खड़ी कर देती थी। कई बार तो उसकी हरकतों की वजह से सिर पकड़ के बैठ जाता था कुनाल, और कर भी क्या सकता था। उसे नाराज़ तो नहीं कर सकता था ना, ज़िंदगी जो थी रिया उसकी।
लड़कियों को शॉपिंग करने का शौक होता है पर ये शौक रिया को कुछ ज्यादा ही था। बहाने ढूंढा करती थी शॉपिंग करने के। कभी कभी तो कुनाल को बहुत गुस्सा आता था उसकी इन हरकतों पर, एक तो फिज़ूल खर्ची उस पे भी उसका टाइम बर्बाद करती थी। हर बार शॉपिंग करने का कोई ना कोई बहाना ढूढना और ज़बरन कुनाल को भी अपने साथ ले जाना बस यही दो खास काम थे रिया के पास। ऐसा नहीं था कि वो साथ चलने से मना नहीं कर सकता था, कर सकता था बिल्कुल कर सकता था और कोशिश भी की थी यहाँ तक कि एक दो बार मना कर भी दिया पर रिया की बड़ी बड़ी काली आँखों के सामने उसकी चलती ही नहीं थी। और फिर रिया के चेहरे पर उदासी सूट भी तो नहीं करती थी। वो चेहरा सिर्फ़ खिले रहने के लिये बना था उदास होने के लिये नहीं।
इस बार भी रिया को शॉपिंग करने जाना था, बहाना था कज़िन की शादी।
“क्या... फिर से शॉपिंग करने जाना है। अभी 2 महीने पहले ही तो अपनी फ्रेंड की शादी पे शॉपिंग की थी तुमने, अब फिर से जाना है...” रिया की शॉपिंग की फ़रमाइश पर कुनाल ने झल्ला कर कहा।
“तब तो मेरी फ्रेंड की शादी थी और अब तो शादी मेरी कज़िन की है और मेरे पास कुछ भी अच्छा पहनने के लिये नहीं है।”
रिया की इस बात पर जब कुनाल ने उसे घूर के देखा तो पहले तो वो हल्का सा मुस्कुराई और फिर खिलखिला कर हँस पड़ी बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह।
“गर्मी कितनी बढ़ गई है ना...चलो आइस्क्रीम खा के आते हैं।”
ढेर सारी शॉपिंग, बहुत सारे पैसे और कुनाल के कीमती वक़्त की बर्बादी के बाद रिया की अगली फ़रमाइश कुनाल के सामने खड़ी थी।
“पहले तुम अपनी शॉपिंग खत्म करो उसके बाद... और वैसे भी मेरा काम आइस्क्रीम से नहीं चलने वाला, मुझे बहुत भूख लगी है।” कुनाल की बातों में भूख की वजह से बढ़ी खीज साफ़ दिखाई दे रही थी।
“तो चलो पहले कुछ खा के आते हैं...”
“पर तुम्हारी शॉपिंग?”
“वो बाद में...” कहते हुए रिया ने कुनाल का हाथ पकड़ा और बिल्कुल उसी तरह उसे अपने साथ खींच के ले जाने लगी जैसे कॉलेज में ले जाया करती थी।
ये यादें ही तो थीं जो कुनाल को ना जीने दे रहीं थीं ना मरने दे रहीं थीं। रिया की वो आखिरी मुस्कुराहट आज भी कुनाल की नम आँखों में तैरती दिखाई देती थी। रिया का प्यार आज भी कुनाल के ज़हन में ज़िंदा था। अगर कुछ मर गया था तो जीने का मकसद। रिया के जाने के बाद कुनाल सिर्फ एक ज़िंदा लाश बन के रह गया था।