Nisha Singh

Tragedy

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Nisha Singh

Tragedy

तेरी उम्मीद (पार्ट-1)

तेरी उम्मीद (पार्ट-1)

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ज़िंदगी... क्या है ये ज़िंदगी? कुछ लोग कहते हैं कि पानी का बुलबुला है, आज है कल नहीं है, कुछ कहते हैं कि एक रास्ता है पर ये कैसा रास्ता है जिसकी कोई मंज़िल नहीं है... ये कैसा रास्ता है जो कभी भी ख़त्म हो जाता है। कुछ का कहना है कि ज़िंदगी ऊपर वाले का दिया हुआ तोहफ़ा है पर ये कैसा तोहफ़ा है जिसकी कोई कदर नहीं है। कैसे कोई भी आ कर इस तोहफ़े को तहस नहस कर देता है और क्यों? क्या मिलता है आखिर उन लोगों को जो किसी की जान लेने में हिचकते नहीं।

ऐसे ही ना जाने कितने ख़याल आते और कुनाल की आँखों को नम कर जाते थे। बहुत कोशिश करता था कुनाल कि उबर सके इस हादसे से पर जिस हादसे में आपने किसी अपने को खोया हो उससे उबर पाना इतना आसान नहीं होता। एक साल बीत चुका था पर आज भी उस हादसे की तस्वीर कुनाल के मन में पानी की तरह साफ़ थी। आज भी वो याद उसे बेचैन कर देती थी, रात रात भर सोने नहीं देती थी। आज की रात भी कोई नई बात नहीं थी जो कुनाल घबरा के जाग गया था। फिर से वही सपना देखा था कुनाल ने वही लोग, वही तोड़ फोड़ करती हुई भीड़, वही लोगों के डरे हुए चेहरे, वही लोगों की चीखें। उठ कर बैठ गया कुनाल अब शायद पूरी रात नींद नहीं आने वाली थी फिर भी पानी पी कर लेट गया हमेशा की तरह और नींद का इंतज़ार उस ठुकराये हुए आशिक की तरह करने लगा जो अपनी महबूबा का इंतज़ार बड़ी ही शिद्दत के साथ करता है ये जानते हुए भी कि वो कभी नहीं आयेगी। इंतज़ार के अलावा और कोई रास्ता भी तो नहीं था।

रात के 2 बज रहे थे। पूरा शहर नींद के आगोश में था सिवाय कुनाल के। नींद से तो आजकल उसकी बनती ही नहीं थी। जब से ये हादसा हुआ रोज़ की बात हो चुकी थी घबरा के जाग जाना, रात रात भर नींद नहीं आना। पहले तो सारी सारी रात रोया करता था पर आजकल फोन ले कर बैठ जाता है। रिया के साथ बिताये वो ख़ुशनुमा पल जो कैमरे में कैद कर लिये थे आज उसके ज़ख्मों पर मरहम का काम करते हैं। कितने खूबसूरत पल थे वो जो उसने रिया के साथ बिताये थे। बस अब तो यही पल यही यादें तो बचीं थीं उसके पास जिनके सहारे वो जी रहा था। रिया तो जा चुकी थी उससे दूर सबसे दूर इस दुनियाँ से दूर। क्यों जब हम किसी को बेहद चाहते हैं तो वो हमसे दूर चला जाता है? क्यों छीन लेता है उपर वाला उनको जो हमारे दिल के बहुत करीब होते हैं? रिया तो उसकी ज़िंदगी थी। रिया को छीन के क्या मिल गया उसे भी? फिर वही दिन कुनाल की आँखों के सामने घूमने लगा जिस दिन वक़्त ने रिया को उससे हमेशा हमेशा के लिये छीन लिया था। कुछ बातें हमारी ज़िंदगी में होती ही ऐसी हैं जिन्हें चाह कर भी हम भूल नहीं पाते। कुनाल की ज़िंदगी के साथ भी कुछ ऐसा ही था।


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