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Sangeeta Agarwal

Romance

3  

Sangeeta Agarwal

Romance

तेरे जैसा यार कहाँ

तेरे जैसा यार कहाँ

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सारी क्लास खचाखच भरी हुई थी, आज इतिहास की नई टीचर आनी थीं, उससे पहले एक खडूस से जेंट्स टीचर थे जो बच्चों को बहुत पकाते थे और आधे बच्चे उनके क्लास में सो जाते थे ।

जब से बच्चों को पता चला था कि नई वाली टीचर बहुत युवा हैं और खूबसूरत भी, सारे के सारे क्लास में मौजूद थे। आज कोई बंक नहीं मार रहा था।

आकाश को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था, वो रोज की तरह आज भी क्लास में मौजूद था, उसे अपनी अटेंडेंस की फिक्र थी बस, उसे हिस्ट्री सब्जेक्ट बिल्कुल पसंद न था, उसका दिमाग तो बस मैथ्स में चलता था।

लड़कियों की कतार में अनिका सबसे आगे बैठी थी, वो इस सब्जेक्ट में जैसे मास्टरमाइंड थी। हर प्रश्न का जबाव चुटकियों में देती, सारी डेट्स उसे मुंह जुबानी रटी हुई थीं।

नई टीचर मिस रिद्धिमा आ चुकी थीं, वो बच्चों की अपेक्षाओं से कहीं ज्यादा खूबसूरत थीं, कुछ बच्चे उन्हें टकटकी लगाए देख रहे थे लेकिन ये क्या, ये तो पहले वाले सर से ज्यादा स्ट्रिक्ट लग रहीं थीं।

कुछ शरारती बच्चों को , उन्होंने आते ही , बाहर कर दिया, जो भी बुक नहीं लाया था, मना करने पर भी बातें कर रहा था जैसे कारणों पर सब शैतान बच्चे क्लास के बाहर थे अब बचे सिर्फ sincere बच्चे।

आकाश को भी पहली बार हिस्ट्री अच्छी लगी आज।

अगले दिन सब बच्चे अच्छी तैयारी से आये थे, लेकिन नई मैम ने भी अटपटे प्रश्न पूछने शुरू कर दिए।

पूरे क्लास में अनिका ही सब प्रश्नों का फटाफट जबाव दे रही थी।

बारी आकाश की आयी अब, बड़े दार्शनिक अंदाज में वो बोला: मैम, मेरे विचार से इसमें क्या खूबी है कि हम ये रटते रहें कि फलां लड़ाई किस डेट में किनके बीच लड़ीं गयी, अच्छा तो तब है न , जब हम वो कारण जानने का प्रयास करें कि लड़ाइयां क्यों लड़ी गयीं, और ऐसा क्या किया जाए जो आगे युद्ध न हो।

सारे बच्चों ने ताली बजा कर उसका स्वागत किया और नई टीचर का मुंह लाल पड़ गया।

गुस्से में वो बोलीं: तो तुम मुझे अब पढ़ाना सिखायोगे।

"नो मैम, लेकिन मुझे इस विषय में ये बात बिल्कुल पसंद नहीं, आकाश बोला

बच्चे फिर हँसने लगे, अबकी बार अनिका भी खिलखिला के हंस पड़ी, वो भी ये डेट्स रटते तंग आ गयी थी।

क्लास का डिसिप्लिन बिगड़ते देख टीचर ने आकाश को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।

वो चुपचाप उठ के बाहर चला गया।

टीचर गुस्से में बोली, किसी और को ऐसा ही लगता हो तो वो भी जा सकता है।

सब उस वक़्त भौचक्के रह गए जब अनिका भी उठ कर बाहर हो गयी।

अनिका को आज आकाश बहुत अच्छा लग रहा था, आखिर उसने क्या गलत कहा था, डेट्स रट कर एग्जाम में अच्छे नम्बर लाने का कोई लॉजिक नहीं होता।

वो मैथ्स से बहुत डरती थी, उसने आकाश से कहा, क्या तुम मुझे मैथ्स पढ़ाओगे ।

आकाश मुस्करा दिया, आज इस नकचढ़ी लड़की को क्या हुआ। सब जानते थे ये किसी उद्योगपति बाप की बेटी थी, एक बड़ी सी गाड़ी ड्राइवर सहित पूरे दिन स्कूल में उसके लिए खड़ी रहती थी, किसी से सीधे मुंह बात न करने वाली आज उससे इतनी प्यार से बोल रही थी।

अब तो अनिका रोज आकाश से मैथ्स पढ़ती, जब भी कोई फ्री पीरियड होता, वो आकाश को घेर लेती। आकाश इतने आसान मेथड्स से समझाता की अनिका दंग रह जाती।

उसे आकाश बहुत अच्छा लगता, सारे दिन घर में भी उसी के ख्यालों में खोई रहती।

आकाश भी उसको बहुत पसंद करता था, जिसे वो नकचढ़ी समझ रहा था वो तो बड़ी स्वीट निकली, कितनी प्यारी बातें करती थी वो।

दोनों को एक दूसरे की आदत होने लगी थी, एक भी एब्सेंट होता एक दिन तो दूसरा बेचैन हो उठता, पता नहीं क्या हो रहा था।

फाइनल एग्जाम खत्म हो गए थे, आज रिजल्ट आना था, सब स्कूल में इकट्ठे हुए थे।

अनिका आज बहुत उदास थी, उसके पापा वहां से दूर बैंगलोर में शिफ्ट हो रहे थे, इसका मतलब अब वो आकाश से नहीं मिल पाएगी।

आकाश ने भी जब ये सुना उसे बहुत धक्का लगा, पर वो क्या कर सकता था।

दोनों ने आंसुओं से एक दूसरे को विदाई दी, नहीं जानते थे कि जिंदगी में फिर दोबारा मिलेंगे भी या नहीं।


वक़्त बड़ी स्पीड से आगे बढ़ता चला जाता है, पीछे कितने खट्टे, मीठे अनुभव छोड़ते हुए। कई बार हमें ऐसा लगता है कि किसी विशेष के बिना हम जी नहीं पाएंगे, लेकिन ऐसा कहाँ होता है, सांस तो किसी के मर जाने पर भी नहीं रुकती, दूर जाने पर तो बिल्कुल नहीं।

आकाश एक स्कूल में अब मैथ्स का टीचर था, मिस्टर शुक्ला सर के नाम से प्रसिद्ध था, सारे बच्चे उसे बहुत पसंद करते थे।

आज पी टी एम थी स्कूल में, सुबह से बहुत बिजी था वो, लंच भी नहीं कर पाया था आज। एक के बाद एक पेरेंट्स उससे बहुत detail में उससे अपने बच्चे की जानकारी ले रहे थे। अब वो उठ गया था कि लंच के बाद ही मिलूंगा।

हाथ धोकर स्टाफ रूम की ओर जाते हुए अचानक किसी की सुरीली आवाज उसके कानों में पड़ी

"आप ही शुक्ला सर हैं"

वो चौंक गया था बुरी तरह, ये जानी पहचानी आवाज तो उसके दिल के बहुत करीब थी, वो पलटा और फिर वो दोनों ही एक दूसरे को देखते रह गए

"तुम"??

दोनों के मुंह से एक साथ निकला

इतने साल बाद भी तुम जरा नहीं बदले, अनिका ने बेतकलुफ्फी से कहा तो उसे अच्छा लगा

तुम तो और खूबसूरत हो गयी हो, वो भी मुस्कराते हुए बोला।

अचानक उसका बेटा दौड़ता हुआ आया और अनिका को अपने मैथ्स टीचर से मिलवाया।

ओह, तो आप "आकाश" की मम्मी हैं, उसने गहरी निगाहों से अनिका को देखा

अनिका थोड़ा हड़बड़ा गयी, वो उससे नजरें चुरा रही थी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो

आपका बेटा मैथ्स में टॉपर है, आपको तो ये सब्जेक्ट कम पसंद था, आकाश ने उसे छेड़ते हुए कहा

हूँ, किसी ने जब मुझे मैथ्स पढ़ाई थी, तबसे मुझे इससे प्यार हो गया था, अनिका खोई हुई सी बोली

तभी अनिका ने उससे पूछा: आप बताएं अपने परिवार के बारे में

आकाश बोला: शुरू में, मैं शादी नहीं करना चाहता था पर फिर माता पिता के दबाव में मुझे ऐसा करना पड़ा।

फिलहाल मेरी प्यारी सी पत्नी और एक सुन्दर सी बेटी है जो यहीं पढ़ती है।

वो लोग कैंटीन में आ गए थे क्योंकि आकाश को भूख लगी थी, जैसे ही उसने अपना टिफ़िन खोला, उसे ध्यान आया उसकी बेटी का शेयर भी था उसमें।

उसने आकाश को कहा, जाओ ये" अनिका" को दे आओ, ग्राउंड में खेल रही होगी।

अनिका ने आंखें फैलायीं: ये अनिका कौन??तुम्हारी बेटी

दोनों ही कुछ पल को एक दूसरे की आंखों में देखते रह गए जैसे कह रहे हों

तेरे जैसा यार कहाँ।



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