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Shagufta Quazi

Tragedy Others

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Shagufta Quazi

Tragedy Others

सज़ा

सज़ा

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ट्रेन अपनी रफ़्तार से चली जा रही थी। द्वितीय श्रेणी की एसी बोगी में एक परिवार पति पत्नी, सात साल का बेटा तथा चार साल की बेटी संग यात्रा कर रहा था। बची हुई दो सीटों पर एक दंपत्ति भी सहयात्री थे। बच्चे तो बच्चे ठहरे, पक्के नटखट। उनकी शोरगुल, मस्ती ट्रेन की रफ़्तार संग जारी थी। कुछ देर के शोरगुल के बाद नन्ही बेटी सो गई, किंतु बेटा बार-बार माँ-पिता से जिज्ञासा वश प्रश्न पूछ रहा था। माँ गोद में नन्ही बालिका को सुलाए मोबाइल में व्यस्त थी।पिता उसकी जिज्ञासा शांत करने में तल्लीन थे। कुछ देर के बाद जब नन्हे बालक के प्रश्नों का ख़ज़ाना ख़त्म हुआ और वह ऊब गया तो बार-बार ऊपर वाली सीट पर उछल-कूद करते हुए चढ़ने-उतरने लगा। पिता उसके प्रश्नों के उत्तर देते देते पूरी तरह थक चुके थे,तो बैठे-बैठे ही आँखें मूंद सुस्ताने लगे। माँ बालक की इस गतिविधि से कुछ परेशान, कुछ चिंतित थी सो उसने बालक को अंग्रेजी में ज़ोर से डांट लगाई, "अगर तुमने अपना यह बंदरों की तरह उछल कूद का खेल बंद नहीं किया तो मैं तुम्हें सज़ा दूंगी। सज़ा के तौर पर मैं तुमसे हिन्दी में बात करना शुरू कर दूंगी। इतना सुनते ही जहाँ नटखट बालक चुपचाप सीट पर बैठ गया वही वहाँ बैठे सहयात्री दंपत्ति हैरान से एक-दूसरे का मुँह तकने लगे।


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