Shagufta Quazi

Inspirational

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Shagufta Quazi

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यू टर्न

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उच्च शिक्षित, आर्थिक रूप से संपन्न, हाई प्रोफ़ाइल परिवार में जन्मी अमृता स्वभाव से अत्यंत महत्वाकांक्षी तथा दृढ़निश्चयी थी। गोरा चिट्टा रंग, सुंदर तीखे नैन-नक़्श, छरहरी काया, कुल मिलाकर आकर्षक व्यक्तित्व की धनी। वह स्वर्ग से उतरी अप्सरा से कम न थी। उसके ठाट-बाट तथा शानो-शौक़त निराली थी। अपनी सुंदरता को बरक़रार रखने हेतु तन-मन को स्वस्थ रखने के लिए वह लाख जतन किया करती थी। सच ईश्वर कभी-कभ, किसी-किसी को छप्पर फाड़ कर देता है। अमृता को सौंदर्य, बुद्धि, सलीक़ा, धन आदि एक साथ ऊपर वाले की देन थी।

धन संपन्नता तथा सोने पर सुहागा इकलौती संतान। बचपन से ही मम्मी पापा उसके सभी शौक़ पूरे करने के साथ उसके नख़रे भी झेलते। स्कूली शिक्षा नामी-गिरामी कॉन्वेंट से पूरी हुई। सर्वगुण संपन्न अमृता विभिन्न आयोजनों, स्पर्धाओं तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में हमेशा भाग लेती। अपनी मेहनत और लगन से पहली क्लास से कॉलेज की पढ़ाई समाप्त करने तक अव्वल दर्जा हासिल करने का सिलसिला जारी रहा।  

फ़ैशन शो, फैंसी ड्रेस तथा सौंदर्य स्पर्धाएं पसंदीदा होने के कारण वेश-भूषा, केश-भूषा तथा श्रंगार द्वारा वह अपने सौंदर्य में चार-चाँद लगा अपनी सुंदरता का लोहा मनवा चुकी थी।

स्कूल की शिक्षा समाप्त होने पर अमृता को महानगर के प्रतिष्ठित कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करने भेजा गया। अकेली संतान होने के कारण मम्मी-पापा चाहते थे, उनके बड़े से कारोबार की बागडोर को अमृता ही संभाले। लाड़ली बेटी ने यहां भी अपने नाम के झंडे गाड़ दिए। उच्च शिक्षा समाप्त कर वह अपने शहर लौटी। पापा के फले-फूले कारोबार को उसने अपनी विलक्षण प्रतिभा एवं नई तकनीक के उपयोग से सच्ची लगन तथा मेहनत के बलबूते नए आयाम देकर आसमान की ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया। अमृता "Sky is the limit" मुहावरे को चरितार्थ करने वालों में गिनी जाती थी।     

कारोबार के सिलसिले में प्रायः नामी कारोबारियों तथा बड़ी-बड़ी कंपनियों के उच्च पदस्थ अधिकारियों संग मीटिंग होती रहती। इसी तरह की एक मीटिंग में प्राइवेट फ़र्म के मालिक अजय जो डायरेक्टर भी थे, उनके साथ मीटिंग हुई। पहली मुलाक़ात में सुंदर, गठीले, रोबीले नौजवान अजय ने उसके दिल पर दस्तक दे दी। मीटिंग सफ़ल रही। कुछ डील्स भी पक्की हुई। इसके बाद मुलाक़ात का सिलसिला शुरू रहा। अमृता को अजय से मिलना, बिज़नेस के साथ अन्य विषयों पर चर्चा करना सुहाने लगा। इधर अजय भी अजीब सी बेचैनी का शिकार होने लगे। काम ना भी हो तो वे अमृता को फ़ोन पर हाय, हैलो कर बातें करते। मानसिक रूप से परिपक्व दोनों में घनिष्ठ मित्रता हुई। एक-दूसरे को अच्छी तरह जानने पर उन्होंने प्यार भरी रेशमी डोर को सात फेरों संग सात जन्मों के बंधन में बांधने का निर्णय लिया।

दोनों परिवारों तथा रिश्तेदारों की उपस्थिति में डेस्टिनेशन वेडिंग अरेंज हुई। करोड़ों रुपया ख़र्च हुआ। अपने ऐश्वर्य का जमकर प्रदर्शन किया गया। जब आवश्यकता से अधिक धन होता है, तो उसका अपव्यय भी इसी प्रकार किया जाता है। ऐश्वर्य का प्रदर्शन करते समय प्रशंसा एवं सराहना करने वालों की आवश्यकता तो होती ही है। वरना क्या फ़ायदा - - ? लोगों ने भी ख़ूब आनंद उठाया, जमकर प्रशंसा भी की। विवाह के तुरंत बाद हनीमून यात्रा समाप्त कर वह स्विट्ज़रलैंड से वापस अपने देश लौटे।  

 दोनों ही काम के प्रति समर्पित, निष्ठावान तथा महत्वकांक्षी होने के कारण जल्द ही काम पर लौट कर व्यस्त हो गए। कुछ महीने बीतने पर अमृता ने नन्हें मेहमान के आने की आहट सुनी। इस ख़बर को सुनकर अजय फूले न समा रहे थे। इस ख़ुशख़बरी से दोनों परिवारों में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी। अमृता काम के साथ-साथ नन्हें मेहमान की पल-पल की आहट को सुन मातृत्व के सुखद एहसास से रोमांचित होने लगी। आख़िर उम्मीदों, आशाओं संग नन्हीं किलकारी की गूंज ने सबके लबों पर मुस्कान बिखेर दी। राजकुमार के अस्पताल से घर वापसी पर जश्न मनाया गया। मिठाइयां, तोहफ़े बांटे गए। दिल खोलकर दान पुण्य किया गया।

 शुरू के आठ-दस दिन माँ ने शिशु को अमृत पान कराया, जिससे उसे मानसिक तृप्ति के साथ मातृत्व के सुखद एहसास का अनुभव हुआ। हर दो घंटे में शिशु को स्तनपान कराना, उसकी देखभाल करना इन सब से उसे फ़ुर्सत ही नहीं मिल पा रही थी। उसने सोचा, बहुत सोचा - - -। आत्म मंथन किया - - -। साल-सवा साल अगर इसी तरह राजकुमार की परवरिश में लगा दिया तो मेहनत से ऊँचाइयों पर पहुँचाएं कारोबार का क्या होगा - - - ?अभी तो कैरियर का महत्वपूर्ण समय है। अगर साल-डेढ़ साल का अंतराल ले लिया तो उसका करियर तो चौपट हो जाएगा? जिसे नए सिरे से खड़ा करने में काफ़ी समय लगेगा। मशक़्क़त भी कम नहीं करनी पड़ेगी - - - । मॉडर्न युग की अमृता ने सुन रखा था, शिशु को स्तनपान कराने से फ़ीगर ख़राब होता है। अपनी सुंदरता और फ़ीगर को लेकर सचेत तथा करियर के प्रति महत्वाकांक्षी अमृता को चिंता सताने लगी। असलियत से कोसों दूर मिथ्या, भ्रमित बातों के जाल में वह ऐसी फंसी कि उसने आनन-फ़ानन में राजकुमार के लिए आया का बंदोबस्त कर लिया। शिशु को पाउडर का दूध बॉटल से पिलाना शुरू कर दिया। नई पीढ़ी के अजय करियर की महत्ता को भल-भांति समझते थे, सो उन्हें इस बात से कोई आपत्ति ना थी। दोनों के ही मम्मी-पापा की अपनी अलग ही दुनिया थी। उन्हें आए दिन की पार्टीयों व सैर-सपाटे से फ़ुर्सत कहां थी?वह तो अब जीवन का असली मज़ा लूट रहे थे। उन्हें भी अमृता के निर्णय पर कोई आपत्ति नहीं थी।  

नन्हें शिशु की ओर से निश्चिंत हो वह अपने उज्जवल भविष्य तथा सफ़ल कैरियर को नए आयाम देने चल पड़ी। आज ऑफ़िस में महत्वपूर्ण मीटिंग थी। बाहर से डेलिगेट्स के आने पर कुछ महत्वपूर्ण डील्स पक्की होनी थी। सुबह जल्दी तैयार होकर वह निकल पड़ी सपनों की ऊँची उड़ान भरने। अपने काम के ख़यालों में खोई वह तेज़ गति से कार चला रही थी, ताकि उसका एक मिनट भी ख़राब ना हो। किंतु सिग्नल की बत्ती के लाल होने से उसे कार को ब्रेक लगाना पड़ा। अपने ख़यालों में खोई वह टकटकी लगाए लाल बत्ती के हरी होने का बेचैनी से इंतेज़ार करने लगी। कब बत्ती हरी हो और वह एक्सीलेटर दे फ़र्राटे से कार को स्पीड से भगा कर ऑफ़िस पहुँचे। अनायास ही उसकी नज़र लाल बत्ती से हटकर गाय पर केंद्रित हो गई। उफ़ - - ! यह क्या - - ? गाय अपनी जान की परवाह किये बिना पागलों की तरह सरपट दौड़ती हुई गाड़ियों के बीच से उसी की ओर आ रही थी। उसे अपनी जान की भी परवाह न थी। उसकी आँखों में करुणा साफ़ झलक रही थी, आवाज़ में ममतामई क्रंदन था। नज़रें किसी को तलाश रही थी। सड़कों पर बेलगाम जानवरों, गाय-भैंसों को वह बीसियों बार देख चुकी थी, किंतु आज का मंज़र उसकी समझ से परे था। वह समझ नहीं पा रही थी कि गाय अपनी जान की को दांव पर लगाकर किसकी खोज में बेतहाशा दौड़ी आ रही है। सहसा अमृता की नज़र गाय के तने हुए थनों पर पड़ी, जिन से निरंतर अमृत धारा प्रवाहित हो सड़क को भिगो रही थी।

सहसा उसे अपनी साईड से क्रंदन भरा बछड़े का सवाल सुनाई दिया। कार के शीशे को नीचे कर के देखा तो भूख से बिलबिलाता नवजात बछड़ा माँ की तलाश में करुण क्रंदन कर रहा था। माजरा उसकी समझ में आने तक गाय अपने बछड़े तक पहुँच चुकी थी। भूख से व्याकुल बछड़े ने तुरंत अमृत पान करना शुरू कर दिया। गाय के मुखड़े के व्याकुल, करुण भाव बछड़े के अमृत पान करने से कुछ ही पलों में सुखद एहसास तथा तृप्ति से भर गए। औऱ बछड़ा - - उसे तो जैसे क़ारून का ख़ज़ाना मिल गया था। वह अमृतपान में मग्न था। अमृता - - -- वह बड़े अचंभे से इस दुर्लभ दृश्य को निहार रही थी। ममता के इस करुण दृश्य को देखकर सहसा अमृता को एहसास हुआ कि उसके स्तनों से अमृत स्त्राव होने के कारण उसके कपड़े भीग रहे है। माँ आख़िर माँ होती है। सदी चाहे कोई भी हो। ज़माना चाहे कितना ही मॉडर्न हो जाए, किंतु ममता का रूप तो सदा वही रहता है। ममता का रूप कभी नहीं बदल सकता। अब उसे अपने मासूम से नन्हें शिशु का याचना करता चेहरा बार-बार आँखों के आगे दिखाई देने लगा। चलचित्र की भांति पूरा दृश्य उसकी आंखों के सामने चल रहा था। भूख से व्याकुल राजकुमार की करुण क्रंदन भरी किलकारी की गूंज उसे व्यथित कर रही थी। जैसे नन्हा शिशु बिन कहे ही अपनी भावनाएं उसके आगे व्यक्त कर रहा था, कि मम्मी मेरे अमृत पान का हक़ मारने का हक़ आपको किसने दिया। आया के हाथ में बॉटल और उसकी गोद में लेटे शिशु की छवि उसके हृदय को झकझोर रही थी। वह साफ़ देख रही थी कि राजकुमार बॉटल को मुँह से लगाने किसी क़ीमत पर तैयार नहीं। बार-बार वह अपना मुँह बंद कर रहा है। फ़ीगर, करियर, आसमां को छूने की ललक , सारे भूत एक पल में अम्रता के सर से उतर गए। आख़िरकर ममता की जीत हुई। गाय बछड़े के प्रेम के अप्रतिम, अदभुत दृश्य ने उसे भाव-विहल कर दिया। उसका हृदय परिवर्तन हो गया। पीछे से लगातार बजते हॉर्न से उसकी तंद्रा भंग हुई। सिग्नल की बत्ती हरी हो चुकी थी। किंतु एक माँ को उसके ममता ने ऑफ़िस जाने की हरी झंडी नहीं दी। उसने तुरंत यू-टर्न ले लिया।  


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