"नक़ली मंगलसूत्र"
"नक़ली मंगलसूत्र"
नेहा दफ़्तर जाने से पहले जल्दी - जल्दी रसोई के काम निबटा रही थी। साथ ही अपने बेटे को स्कूल के लिए तैयार होने के निर्देश भी दे रही थी। कामवाली बाई कमला भी झाड़ू लगा रही थी। मां की आज्ञा का पालन करते हुए अभिनव तैयार हो रहा था। वह ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा हो बालों को संवार रहा था। तभी उसकी नज़र ड्रेसिंग टेबल पर पड़े मंगलसूत्र पर पड़ी।
आठ वर्षीय नन्हा बालक अभिनव श्रृंगार टेबल पर पड़ा मंगलसूत्र उठा मम्मी- मम्मी पुकारता रसोई की तरफ़ दौड़ा। नेहा ने टोका,"धीरे चलो कहीं गिर गए तो चोट लग जाएगी"
अभिनव मम्मी की इस बात को अनसुना कर मंगलसूत्र माँ के हाथ में थमाता हुआ कहने लगा, "मम्मी आपका मंगलसूत्र श्रृंगार टेबल पर यूँ ही पड़ा था। क्या आप अलमारी में रखना भूल गई? लीजिये अलमारी में संभाल कर रख दीजिए, कहीं यह खो न जाए"
नेहा कहने लगी, "अरे बेटा यह तो नक़ली मंगलसूत्र है, जो मै रोज़ दफ़्तर जाते समय पहनती हूँ। असली सोने का मंगलसूत्र तो मैने संभालकर अलमारी में ही रखा है"
नक़ली मंगलसूत्र वापस बेटे के हाथ में पकड़ा उसे पूर्ववत रखने का निर्देश दे दिया। नन्हें बालक ने तपाक से कहा, "नक़ली है तो क्या हुआ, पर मम्मी है तो यह मंगलसूत्र ही?" नेहा ने उसके माथे पर नेहासिक्त चुम्बन अंकित कर दिया।
