STORYMIRROR

Shagufta Quazi

Others

2  

Shagufta Quazi

Others

गवैया

गवैया

2 mins
387


उच्च शिक्षित, प्रतिष्ठित परिवार के मोहन उच्च पद पर आसीन थे। नौकरी के कारण परिवार से दूर महानगर में रहते थे। उनके ऑफ़िस के तक़रीबन सभी लोग अपने-अपने परिवारों से दूर रहने के कारण ऑफ़िस के सभी कर्मचारी एक परिवार की तरह सुख में साथ तो दुःख में भी एक दूसरे का संबल बनते।एक परिवार की तरह हर ख़ुशी साथ मिलकर मनाते। कभी किसी का जन्मदिन तो कभी किसी की शादी की सालगिरह यहां तक कि सभी त्योहार ईद , दिवाली, क्रिसमस , बैसाखी आदि के जश्न पर पार्टियों में सभी शरीक होते। विभिन्न व्यंजनों का स्वाद, हाउज़ी से लेकर विभिन्न प्रकार के खेल तो संगीत व कराओके पर गाना गाने का लुत्फ़ भी उठाया जाता। मोहन अक्सर इन पार्टियों में अपने ऑफ़िस के मित्रों संग कराओके पर गाना गाते, मित्र मंडली के कुछ लोग अपनी पत्नियों संग डू इट गाते। और जब भी मोहन की बहने मोहन के घर छुट्टियां बिताने आती तो बहन भाई साथ मिलकर कराओके पर गाना गाते तथा ख़ूब मज़े करते। मोहन की पत्नी मीरा के मन में यह सब देख गाना गाने की तीव्र इच्छा जागृत होती। कई बार सोचती कि पति से अपनी इच्छा ज़ाहिर करें किंतु उसे गाना नहीं आता था सो वह मन मसोस कर ख़ामोश ही रहती। एक दिन पति संग सुबह की सैर को जाते समय मीरा की नज़र चौराहे पर टंगे बोर्ड पर पड़ी, जिस पर लिखा था, "कराओके पर गाना सिखाने तथा संगीत सिखाने की क्लास" उसने पति से सरल भाव से संवाद साधा,"देखो यहां संगीत तथा कराओके पर गाना सिखाया जाता है, मैं बहुत दिनों से सोच रही थी कि मैं भी गाना सीख लूं ताकि तुम्हारे साथ पार्टी में गा सकूं। वैसे भी तुम्हारे ऑफ़िस जाने तथा बच्चों के स्कूल जाने के बाद मेरे पास कुछ समय बचता है, उस ख़ाली समय घर में अकेले बोर होती रहती हूं।" पति मोहन इतना सुनते ही भड़क गए, कहने लगे,"क्या करोगी तुम गाना सीख कर? गवैया बनना चाहती हो क्या? प्रतिष्ठित परिवार की बहू तथा प्रतिष्ठित पति की पत्नी हो, कुछ मर्यादाओं का पालन तो तुम्हें करना ही चाहिये।" बेचारी मीरा पति का मुंह ताकती रह गई।

      


Rate this content
Log in