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स्वतंत्रता

स्वतंत्रता

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सुबह 7 बजे से स्वतंत्रता समारोह में बैठे बच्चे मंत्री जी का इंतजार कर रहे थे. वैसे उन्हे मंत्री जी से कोई लेना देना न था,उन्हे तो ध्वजारोहण के बाद मिलने वाली मिठाई की ज्यादा जल्दी थी.

10 बजे मंत्री जी आये. उनके स्वागत मे प्रधानाचार्या जी ने मंच संभाला और शुरू हो गयी" आज माननीय मंत्री जी के चरण कमलों से विद्यालय प्रांगण शुभ हो गया" और फिर वो ऐसी शुरू हुँयी की 2 धंटे मंत्री जी का महिमामंडन करते चली गयी,अभी उनका बोलना और बाकि था कि दूसरी अध्यापिका मंच पर आयी और प्राध्यापिका जी से माईक लेते हुए बोली " अब मैं मंत्री जी से अनुरोध करूंगी की वे ध्वजारोहण करें और और फिर भूख से व्याकुल बच्चों मे मिठाई वितरण करें.

ये कहकर उन्होने बच्चों की तरफ देखा, उनके चेहरों पे सचमुच स्वतंत्रता दिवस की खुशी थी.


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