रावण की शर्म

रावण की शर्म

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दशहरे से ठीक पहले की वो रात, बदहवास भागती एक लडकी मैदान में खडे रावण के विशालकाय पुतले के  पीछे जाकर छुप गयी.

इधर उधर ढूँढते हुए उन लडकों में से एक की नजर पीछे अंधेरे मे दुबकी लडकी पर पडी और वो उसे घसीटते हुए बाहर ले आया.
तेज चलती हवाओं की सांय सांय के साथ अब लडकी की चीखें भी उस खाली मैदान मे गूँजने लगी.

सुबह सबने देखा पुतले का सिर अपने नियत स्थान से कुछ नीचे झुका हुआ था, सबने रात को आयी आँधी को खूब कोसा मगर ये बात सिर्फ पुतला जानता था कि सिर झुकने की वजह आँधी नही बल्कि वो शर्म है जो उसे रात को इंसानों को देखकर आयी थी


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