सुपर दादी
सुपर दादी
"नमस्कार,आज आपकी मुलाक़ात करवाते हैं श्रीमती रेखा जोगलेकर जी से जिन्हें अब सभी सुपर दादी के नाम से जानते हैं।"
"नमस्कार चाचाजी,इस नाम से तो कोई फिल्म भी बनी थी,क्या वह फिल्म इनकी ही जीवनी पर बनी इस थी ?"इशान ने पूछा।
"नहीं,नहीं, आप हैं 72 वर्षीय महा जीवट वाली,साहस की धनी महिला, सुशिक्षित एम ए, बी एड हैं ।जीवन में
पारिवारिक जिम्मेदारी संभालने के साथ ही जिला परिषद् में तीस वर्ष तक वे केन्द्र प्रमुख भी रहीं।"
"उन्हें सुपर दादी का टाइटल कैसे मिला,चाचू ?"उमेश ने पूछा।
"वे पिछले तीन वर्षों से अपनी साईकल पर भारत-भ्रमण के लिए निकली हैं।यह यात्रा इन्होंने अपने
गृह जिले बुलढाना से आरम्भ की।अब माहुरगढ़, सोमनाथ और वैष्णोदेवी की अब तक 2500 किमी यात्रा साईकल से कर चुकी हैं।इस साहसिक कार्य के कारण ही इन्हें यह टाइटल मिला है।"
" बहुत साहस का काम है,वह भी इस आयु में ! इनके दैनिक उपयोग के सामान की व्यवस्था कैसे होती है?"इशा ने पूछा।
"ये अपने साथ केवल पहनने के कपड़े, धूप-बारिश से बचने के साधन और कुछ मामूली दवाएं रखती हैं, विशेष कुछ नहीं।"
"चाचाजी,रात में वे क्या ठहरती हैं अथवा यात्रा करती रहती हैं ?"रजनी ने पूछा।
"जहाँ भी रात होती है, वे वहीं किसी धर्मशाला अथवा किसी सामाजिक संस्था में रुक जाती हैं।"
"इनके भोजन का क्या,कहां करती हैं ?" निर्मल ने पूछा।
"जो भोजन मिल जाए वही खाकर आगे बढ़ जाती हैं। केवल रात्रि के समय ही पड़ाव होता है।"
"चाचाजी,ये तो वही हुआ,"एकला चलो,एकला चलो..!"
"हा,हा,हा..अब आप में से भी कोई सुपर हीरो बनेगा न ? चलिए विचार कीजिए। कल मिलते हैं।"
"धन्यवाद,चाचाजी।"
