सती की टेकरी
सती की टेकरी


सुखिया की नई नई शादी हुई थी, उसकी पत्नी बहुत ही सुन्दर और गुणी थी। उसका नाम था कमला। सब उसे कमली कहके बुलाते थे।
कमली वैसे तो और औरतों की जैसे ही थी, कुछ था जो सबसे अलग था उसमें कभी कभी कुछ बातों का अंदेशा उसे पहले ही हो जाता था, या यू भी कह सकते हैं कि उसे पूर्व आभास होता था।
उस बात का पता सबको पहली बार तब लगा जब उसके गाँव में बारिश कम थी और सब परेशान थे कि अब क्या होगा अगर बरसात ठीक से नहीं हुई तो सब फसल नष्ट हो जाएगी। सब गाँव वाले ये बात कर ही रहे थे कि अचानक कमली बोली....' आएगा... आएगा... बरसात जमके आएगा.... खूब फसल होगी...... हरियाली होगी।'
कमली की बात सुनकर सब लोग हंस पड़े और बोले..... अरे सुखिया... अपनी जोरु को संभाल.... लगता है पगला गई है.... यू मर्दों के बीच में बोला नहीं करते... जा.. जा.. इसे समझा.... इतनी गर्मी पड़ रही.... बारिश कहा से होगी।
सुखिया उन सब की बात सुनकर शर्मींदा हो जाता है, और अपनी पत्नी को डाँटता है...... तुझे किसने बीच में बोलने को कहा... वहाँ इतने मर्दों के बीच हमे शर्मींदा कर दिया।
तभी अचानक आसमान में अंधेरा - सा छा जाता है, और बादल गिर आते हैं, जोरो की बारिश शुरू हो जाती है सुखिया आश्चर्य से अपनी पत्नी की ओर देखता है, कमली बिना कुछ बोले अंदर चली जाती है।
अगली सुबह सब खेत पानी से भरे होते हैं.... गाँव का मौहोल खुशनुमा हो जाता हैं और वो लोग जो कल तक कमली को उल्टा - सीधा कह रहे थे अब उसके गुण - गान गा रहे थे। सब का कहना था कमली के जुबान में साक्षात स्वरस्ती निवास करती हैं, अब तो सब कमली की वाह - वही करने लगे।
कुछ दिनो बाद कमली को फिर कुछ आभास हुआ। उसने तुरंत ही सब गाँव वालो को बुला कर कहा आप सब लोग अपने अपने कीमती सामान और फसल, पशु... वगैरा कहीं सुरक्षित जगह पर छुपा दो। गांव में लुटेरे आने वाले है, कमली की बात सुन गांववाले सतर्क होगए क्योकि अब वो कमली की बात मानते थे सबने अपने कीमती सामान, फसले और पशु सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दीये। फिर उस रात वैसा ही हुआ जैसा कमली ने कहा था गाँव में डाकू आगए।
कमली की बात सच हो गई, चूँकि गांववाले पहले ही सतर्क हो गए थे इसलिए डाकुओं का हमला निष्फल रहा। यही नहीं उनके दो साथी भी पकड़े गए थे। डाकुओं का सरदार असमझस में था कि आखिर गांववाले सतर्क कैसे हो गए। आखिर इसकी जानकारी उनको कहा से मिली के वो गांववालों पर हमला करने वाले हैं।ये जानने के लिए उसने गांव में अपना एक जासूस भेजा।
गाँव में जासूस को कमली के बारे में पता चला सब गांववाले कमली की वाहा.. वाही.. कर रहे थे। उस जासूस ने अपने सरदार को कमली के बारे में सब कुछ बताया। उस सरदार को कमली पर बहुत गुस्सा आया। उसने अपने साथियों से कहा... आज रात जब सब गांववाले सो रहे हो तब उस औरत को पकड़ के गाँव के बाहर जो टेकरी है वहाँ बाँध कर जला देना..... जो कोई भी डाकू लाखन से पंगा लेगा उसका यही हाल होगा।
उधर कमली को सुबह से ही कुछ अनहोनी का अंदेशा हो रहा था, पर इस बार ये समझ नहीं आ रहा था कि क्या होने वाला है, ऎसा पहली बार हुआ था उसके साथ वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर क्या बात है इसी तरह पूरा दिन गुजर गया।
जब रात हुई तो सब सो चुके थे, पर कमली को नींद नहीं आ रही थी वो बार बार करवटे ले रही थी तभी उसे कुछ आहट सुनाई दी वो तुरंत बाहर आई वो जैसे ही बाहर आई तो डाकुओं ने उसे पकड़ लिया, और गाँव के बाहर टैकरी पर ले आए। वो चिल्लाई उसकी आवाज सुनकर उसका पति सुखिया और गांव वाले उठगए। किन्तु वो वहाँ पहुंचते उससे पहले ही डाकू कमली को जला चुके होते हैं कमली जलते हुए भी बस एक ही बात कह रही थी... "तुम चाहे जो भी करलो मैं इस गाँव की रक्षा हमेशा करूगी.... मैं मरने के बाद भी इस गाँव की रक्षा करूगी....." वो बार बार बस यही दौहरा रही थी।अंततः खामोश हो जाती हैं, जब तक के गाँववाले वहां पहुँचते वो पूरी तरह से जल जाती हैं..... डाकू भी वहाँ से चले जाते हैं...... रह जाती है, तो सिर्फ आग की लपटें.... सब खामोश थे... और सुखिया लगातार जोर जोर से रोए जा रहा था.. लोगों ने किसी तरह उसे शांत कराया। इस तरह पूरी रात गुजर गई।
दूसरों के साथ होने वाली अनहोनी का आभास करने वाली कमली अपने साथ होने वाली अनहोनी का आभास नहीं कर पाई। शायद विधाता को यही मंजूर था।
दूसरे दिन गाँव वालों को ये समाचार मिला कि जिन डाकुओं ने कमली को जलाया था , उनके खेमे में आग लग जाने से सब के सब जल कर मर गए। गाँव वाले समझ गए थे कि ये सब कमली ने ही किया है, अब सब गाँव वाले उसे सती के रूप में पूजने लगे और जिस टेकरी पर उसे जलाया गया था। वहां रोज दिया जलाया जाने लगा।
अभी भी जब भी गाँव पर कोई मुसीबत आती है, कमली गाँव वालों को ''हुंकार "दे कर आगाह करती है।