ससुराल वापसी
ससुराल वापसी
मधु ब्याह कर ससुराल आई तो कुछ दिन सब बड़े आराम से चला। सास, नंद सभी उसकी मदद करती उसे किसी बात की कोई तकलीफ़ नहीं होने देती थी। मधु भी ऐसा ससुराल पाकर धन्य हो गई, पर कुछ ही दिनों बाद सब मधु से किनारा करने लगे यहां तक कि पीठ पीछे खुसर- फुसर भी होने लगी। मधु को बहुत बुरा लगा। कुछ दिनों बाद मधु अपने मायके आई तो उसने अपनी माँ को सारी बात बताई और बोली थी अब मैं वहां वापस नहीं जाऊंगी किसी को मेरी कोई परवाह नहीं है जैसे मैं कोई अजनबी हूं घर में।
माँ ने बिना आश्चर्य व्यक्त किए मधु से ही सवाल कर डाला "बेटी तू अपने परिवार की कितनी फिक्र करती है?" मधु हैरान!!! माँ मैं तो करती हूं, मेरी कोई गलती नहीं है, आप मुझ पर ही इल्जाम लगा रही हो। मधु की माँ ने उसे बड़े प्यार से कहा "नहीं बेटा ! मैं कोई इल्जाम नहीं लगा रही हूं,अच्छा चल तुम मुझे एक बात बताओ.. अपनी सुबह से शाम तक की पूरी घटना मुझे विस्तार पूर्वक बताओ अपनी बात भी बताओ और अपने परिवार वालों के भी बताओ।
तब मधु ने उन्हें बीते दिनों की हर बात और घटना बताई उसने बताया कि उसे उठने में थोड़ी देर हो जाती है लेकिन कोई उसे कुछ नहीं कहता, पर माँ! सारा दिन मेहमानों का तांता लगा रहता है ..ऐसे बैठो, वैसे बैठो, साड़ी पहन लो, जितने लोग आए सबके लिए बार-बार चाय बनाओ और जाते जाते ये भी कहो कि अभी थोड़ी देर और रुक जाइए ना, जबकि मेरा बिल्कुल भी मन नहीं करता कि कोई वहां रुके। फिर ये भी कहो जल्दी आइएगा, घूंघट करो ...
मुझसे तो यह सब नहीं होगा मैंने साफ कर दिया ...एक बार में जो करवाना है करवा लो मुझसे, रोज-रोज नहीं कर पाऊंगी। आपको नहीं पता माँ उस घर में कितने सारे बच्चे हैं सारा दिन मेरे कमरे मे ही रहते हैं इसलिए मैंने सबको बोल दिया कि मेरे कमरे में ना आए।
"लेकिन बेटा..."माँ सबके साथ बैठकर कितना टाइम खराब होता है। इतनी सारी रस्में... मैं तो हार गई ..
"बेटी! पर वह तो सब चले जाएंगे अभी तुम नई- नई हो इसलिए सब तुम्हारे आसपास रहना चाहते हैं। ये सब सुनकर मधु की माँ थोड़ा गुस्से में आ गई और बोली "बेटी शादी - रिश्ते यह सब स्वार्थ से नहीं चलते, यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है और बड़े प्यार और संयम से निभाना पड़ता है..घर आए मेहमानों का स्वागत करना चाहिए और तुम तो बहु हो उस घर की, तो अब उनके रीति रिवाज और जिम्मेदारियां तुम्हारी हैं।
"माँ कौन सी दुनिया में हो"
माँ ने कहा "दुनिया कोई भी है तो इंसान ही। वह तुमसे बात नहीं करती तो तुम्हें बुरा लगता है जरा सोचो तुमने उनके साथ क्या किया ? तुमने उनके साथ जो किया वही तुम्हारे साथ किया, फिर तुम्हें बुरा क्यों लग रहा है। अगर अपने लिए प्यार और सम्मान चाहती हो तो उसे देना भी सीखो। रिश्ते नाते, परंपराएं और हमारा व्यवहार हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। माँ की बात मधु को अच्छे से समझ में आ गई और उसे यह भी समझ में आ गया कि उसी के व्यवहार के कारण ही ससुराल में सब उससे कटे कटे रहने लगे थे पर अब उसने तय किया कि वह स्वयं को बदलेगी और सबका प्यार प्राप्त करेगी अब उसने ससुराल जाने की तैयारी शुरू कर दी....