अबॉर्शन
अबॉर्शन
सुधा के हाथ में उसकी नवजात बेटी को देख सास-ससुर के साथ पति विनय भी भड़क उठे
"तुमने तो अबार्शन करवा दिया था फिर यह बेटी कहां से आई?"
" मैंने अबॉर्शन नहीं करवाया था । अपनी बच्ची को अपने ही हाथों, अपनी ही कोख में कैसे मार देती ? मां हू ना तुम सब की तरह मेरा दिल पत्थर नहीं।"
" तुम झूठ बोल रही हो."
तभी डॉक्टर हेमा दाखिल हुई कमरे में और बोली "सुधा ठीक कह रही है।जब मैं सुधा से क्लीनिक मे मिली थी तो उसने मुझे सारी बातें बता दी थी । वह अपनी बेटी को मारना नहीं चाहती थी इसलिए मैंने झूठ कहा कि सुधा का अबॉर्शन हो गया और उस अजन्मी बच्ची को कोई तकलीफ ना हो इसलिए संक्रमण का बहाना बनाकर सुधा को उसके मायके भेज दिया था।"
डॉक्टर और सुधा की बातें सुन सुधा की सास भड़क उठीं पर सुधा अब उनकी बहू ही नहीं ,अपनी बच्ची की मां भी है, और उसे बचाने के लिए वह कुछ भी कर सकती है ।
उसके बदले तेवर देखकर सभी को पीछे हटना पड़ा सुधा ने कहा कि आप लोग एक अजन्मे को मार सकते हैं तो मेरा क्या ? इसलिए मैं अब यहां नहीं रहूंगी, मेरी बेटी के लिए उसकी मां ही काफी है । उसकी हत्या की साजिश करने वाले परिवार की कोई जरूरत नहीं और हां ,तलाक के कागज भिजवा दूंगी साइन कर देना ।"
सुधा के इस रूप की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। पुलिस और समाज के डर से उन लोगों ने उसे रोकने की कोशिश की पर सुधा ने फैसला कर लिया था कि अब वहां नहीं रहेगी और अपनी बेटी को एक नई जिंदगी देगी ।