Vidya Sharma

Drama

5.0  

Vidya Sharma

Drama

सुबह का भुला

सुबह का भुला

3 mins
640


विकास की संगत बिगड़ने लगी थी, विधवा मां उसकी आदतों से परेशान थी। उन्होंने उसे बहुत समझाया और कहा कि वही उसकी उम्मीद है पर विकास पर कोई फर्क नहीं पड़ता। अब वह पढ़ाई में भी पिछड़ने लगा था और उसका व्यवहार भी बहुत बदल गया था। स्कूल और गली मोहल्लों से उसकी शिकायतें भी आने लगी थी।

इधर विकास की मां परेशान ,दिन भर मेहनत मजदूरी करती ताकि विकास के लिए फीस का इंतजाम कर सके और उसे किसी बात की कमी ना हो।

ज्यादा पैसे कमाने के लिए विकास की मां लगातार काम करती रही जिससे एक दिन वह बहुत तेज बीमार पड़ गई पर विकास को कोई खबर नहीं क्योंकि वह तो दिन भर इधर-उधर घूम रहा था।

शाम को जब विकास लौटा और दरवाजे पर पहुंचा तो उसे अंदर से किसी की आवाज आई। ये उसी के मोहल्ले की जसोदा चाची की आवाज थी।

वह कह रही थी "अरे विकास की मां ! तू क्यों इतनी हाड़ तोड़ मेहनत करती है अपना ख्याल रखा कर।"

तब विकास की मां बोली "अरे जीजी ! ज्यादा पैसा कमाऊगी तभी तो विकास को ऊंची शिक्षा दे पाऊंगी। उसके पिताजी का सपना था कि विकास पढ- लिखकर 1 दिन बहुत बड़ा आदमी बने।"

जसोदा चाची- "बुरा मत मानना, विकास तो इधर-उधर गली के लड़कों के साथ घूमता रहता है , पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता उसका। अब देखो ना तुम कितनी बीमार हो पर उसे कोई खबर है नहीं।"

" पर जीजी मेरा विकास मुझसे बहुत प्यार करता है वह कहता है मां मैं बहुत बड़ा आदमी बनूंगा और तुझे कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा "।

जसोदा बोली अब तू ही देख पर मुझे तो नहीं लगता कि ऐसा कुछ है।

विकास की मां बस मुस्कुरा कर रह गई। बाहर दरवाजे पर खड़े विकास अब अंदर आ गया और जसोदा चाची चली गई।

उनके जाते ही विकास अपनी मां के पैरों में बैठकर रोने लगा तब मां बोली "अरे बेटा ! यह जसोदा पागल है उसे नहीं पता मेरा बेटा ही हीरा है और मुझे बहुत प्यार करता है।"

विकास उनके पैरों में गिर पड़ा और रोते हुए बोला "मुझे माफ कर दो मां ! मेरी वजह से आपकी यह हालत हुई और मैं मजे से घूम रहा हूं। आपकी सेवा और मदद करने के बजाय अपने आवारा दोस्तों के साथ रहकर अपना समय खराब कर रहा हूं, आपका विश्वास तोड़ रहा हूं पर मैं अब समझ गया हूं, मैं अब पढ़ूगा ...बहुत पढ़ूगा और बहुत बड़ा आदमी बनूंगा। मैं आपका हमेशा ख्याल रखूंगा।

मा ने विकास को उठा कर अपने सीने से लगा लिया उनकी आंखों से भी प्रेम व स्नेह मिश्रित धारा बह चली।

वह बोली मैं जानती थी मेरा बेटा जरूर वापस आएगा क्योंकि वह बस रास्ता भटक गया था और सुबह का भूला अगर शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama