गूगल देवता
गूगल देवता
मनीराम चाचा के दुकान की चाय मशहूर थी।
हर रोज सुबह - सुबह यहां पर सभी आयु वर्ग के लोगों का जमावड़ा होता था।
मनीराम चाचा की चाय में अजीब सी मिठास होती थी, जो लोगों को बरबस ही यहां तक खींच लाती।
बाढ़ में अपने पूरे परिवार को खोने वाले मनीराम चाचा, इसी चाय की दुकान और उस पर आने वाले लोगों के साथ अपना वक्त काट रहे थे।
परिवार खो गया तो होठों की हँसी भी चली गई।
उनकी दुकान पर अक्सर लोगों की भीड़ जमा होती तो, बहुत बड़ी - बड़ी बहस भी होती। कभी तकरार, तो कभी मनुहार। पर वह हमेशा शांत भाव में रहते और बड़े प्रेम से सबको चाय पिलाते हैं ।
आज की सुबह भी कुछ ऐसी थी। लोगों की मंडली जम चुकी थी और चाय की चुस्कीओं के बीच ,गरमा गरम बहस शुरू हो चुकी थी ।
कुछ लोग चाय की चुस्कियों के साथ, खड़े तो कुछ बैठे थे। और आज का विषय था ----गूगल!!!
जी हां आज ये मंडली गूगल देवता की महिमा का बखान कर रही थी।
कोई बोला कि, गूगल पर हर चीज मिलती है।
खाने पीने की चीजें, गांव, शहर ,कपड़े ,कुछ भी ढूंढो सब चुटकियों में मिल जाता है ।
मनीराम चाचा बड़े शांत भाव से सुन रहे थे तभी एक व्यक्ति ने कहा---- कि अरे!! मैंने तो अपने एक बहुत ही पुराने मित्र का घर का पता भी ढूंढ निकाला गूगल की मदद से।
और फिर उसके घर जा पहुंचा। हम बरसों बाद मिले थे ।
अब तक मनीराम जो कि पीछे बैठे थे लोगों के बीच आ खड़े हुए। उनके चेहरे पर कई जाने-अनजाने भाव आने-जाने लगे थे।
तभी एक और साहब उठे और बोले--- अरे गूगल देवता बोलो !!!
उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है, मैं तो चैलेंज देकर कहता हूं।
तभी मनीराम चाचा लोगों को धकेलते हुए, उन महाशय के सामने आ खड़े हुए
और आश्चर्य में भर कर बोले ---सही कहत हो का साहेब ??
ए गूगलवा सबै कुछ ढूंढ लेत है कका??
वह जनाब बड़े गर्व भरी मुस्कान के साथ बोले ---अरे हां चाचा सब कुछ.. ये तो गूगल देवता है ।
मनीराम चाचा ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए और आंखों में आँसू भरकर लड़खड़ाते शब्दों में बोले--- साहब पिछले साल बाढ़ में घर के सबै लोग खो गए ।कौनो का पता नाहीं।
अपने गूगल देवता से विनती करो साहब हमारे परिवार का पता बताएं, हम ₹11 के प्रसाद चढ़ायाबै ।
कहते कहते वह फूट-फूट कर रोने लगे और ज़मीन पर बैठ गए ।
उन जनाब के साथ साथ वहां मौजूद सभी सदस्य अनुत्तरित हो गए ।
किसी को कुछ समझ नहीं आया कि मनीराम चाचा को क्या जवाब दें।।