सर्द जुल्फें
सर्द जुल्फें


तुम्हारी ज़ुल्फ का एक टुकड़ा मेरे कोट के एक बटन में कल लिपट कर मेरे पास आ गया था, मेरी नज़र जब उसकी सिसकियों पर पड़ी तो मैंने हल्के हाथों से उसको निकालने की एक नाकामयाब कोशिश की, लेकिन उसकी ज़िद के आगे मेरी नहीं चली। शायद बहुत सर्द सी थी, मैंने कई बार कहा है कि इस कदर अपनी ज़ुल्फ़ों को मत भिगोया करो, कुछ ज़ुल्फ़ें थोड़ी सेंसिटिव होती हैं हमारी तरह, और उनको कोल्ड की शिकायत हो जाती है अक्सर।
कुछ देर बाद जब वो आसपास पड़े धागों को ओढ़ कर सो गई तो मैंने एक और कोशिश की उसको वहाँ से निकालने की, धीरे धीरे मैंने बटन की रेकी करनी शुरू कर दी, लेकिन रास्ता इतना सूक्ष्म था कि वहाँ तक पहुंचना मुश्किल लग रहा था। मैंने तभी घर में पड़ी सुई को नींद से जगाया और अपनी मुश्किल उसके कानों में बड़े आराम से कह दी। थोड़ा वक़्त लगा, लेकिन उसने मदद क़े लिए हामी भर दी।
फिर सुई हल्के से बटन क़े सूक्ष्म छिद्र क़े अंदर से उसके सिरहाने तक पहुंची और उसको अपनी गोद में उठा कर मेरे हथेली पर सुला दिया। गौर से जब मैंने उसकी तरफ देखा, वो सर्दी के मारे नींद में छींक रही थी, मैंने घर में पड़े ड्रायर से उसको धीरे धीरे सुखाना शुरू कर दिया। लेकिन अचानक ड्रायर की आवाज़ से वो उठ खड़ी हुई और गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी। नींद पूरी नहीं हुई थी, आँखे उसकी लाल सी थीं, तभी किसी कमबख्त ने पंखा चला दिया और फिर उसने मेरा साथ वहीँ छोड़ दिया। वो आखरी याद जो मैं संजोना चाहता था, वो किसी कोने में चुपचाप जाकर छुप गई थी।
मैंने कोशिश की, पर शायद बीच नींद से जगाने का मेरा फैसला गलत साबित हुआ। अगली बार जब तुम मिलोगी तो अपने बालों को फिर से भिगो लेना, शायद मुझे प्रायश्चित का मौका मिल जाए।