स्पर्श
स्पर्श
मोहिनी को ऑफिस का सारा काम ख़तम करने में रात के ८ बज चुके थे। वो चिड़चिड़ी हो चुकी थी काम के बोझ से। जैसे-तैसे वो घर पहुँची और माँ के कमरे में गई, पर बिन माँ का वह सुना कमरा उसे जैसे काटने को दौड़ा। आंखें भीग उठी आंसुओं से, तभी मोहिनी की भाभी आके उसके कंधे में हाथ रखती है।
भाभी प्यार से उसका माथा सहलाने लगती है। मोहिनी को जैसे अपने माँ का स्पर्श महसूस हो रहा था, एक सुखद शांति मिली उसे। मन जो शांत हो चुका था मोहिनी का काम के तनाव से और भाभी के रुप में माँ जो मिल गई उसे।