ख्वाहिश :
ख्वाहिश :
"मम्मीजी एक ही ख्वाहिश है मेरी, आप तो समझिए..." अपने सास से विनती करते हुए रश्मि बोली। उसकी सास सरला देवी बोली, "जानती हूं बहू, पर तुम्हारे ससुर जी की सोच को बदलना मुश्किल है। तुमको पता तो है के वो पुराने विचारों वाले है, बहू-बेटियां घर से बाहर जाए या काम-काज करे ये उन्हें बिलकुल पसंद नहीं, और तुम तो दूसरे शहर जाने की बात कर रही हो.."।
तभी उमेश जी अंदर आते हुए बोलते है, "नहीं सरला। मेरी आंखे खुल गई अब, बहू जाएगी इस साल चेन्नई में अखिल भारतीय संगीत प्रतियोगिता में भाग लेने और अपना सपना पूरा करेगी"।
रश्मि के आंखो से खुशी के आंसू छलक गए उमेश जी की बात सुनके। देर से ही सही, उमेश जी आखिर मान ही गये...