शुरुआत
शुरुआत
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बिटिया को आज बाहर जाना है करीब ६दिन के लिए ,सुबह से ही तैयारी चल रही थी, मैंने उसके पसंद के अनुसार कुछ मिठाइयां भी बनाई, मिठाई की डिब्बी देने उसके कमरे में गई तो देखा वो तो पैकिंग निपटा भी डाली। सूटकेस खोल के फिर किसी तरह डिब्बी घुसाया बिटिया ने।
शाम को ५ बजे मैं और मेरे पति स्टेशन आए उसको छोड़ने, पर वो चुपचाप खड़ी थी और मुस्कुरा रही थी। ट्रेन चलने ही वाली थी के बिटिया बोली, "चलिए मम्मी बैठिए ट्रेन में, मैं नहीं आप और पापा जा रहे घूमने।" हैरान रह गई मैं, मेरी खुशियों की शुरुआत जो हो गई मेरे बिटिया के द्वारा...