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Mitali Chakraborty

Others

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Mitali Chakraborty

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शगुन :

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घनश्याम निवास में खुशी का माहौल है, हो भी क्यू ना, घनश्याम जी की एकमात्र पोती, उनकी लाडली पायल का विवाह है आज। पायल के माता पिता एवं घनश्याम जी सुबह से ही मेहमानों की आयो भगत में लगे है। चारो तरफ हर्शोल्लास का वातावरण है। खुशियां ही खुशियां, पायल को देख घनश्याम जी वारेवारे जा रहे साथ ही लड़की पोती की बिदाई का सोच के उनके तथा पायल के माता पिता के आंखो में यदाकदा आंसू भी आ जा रहे है। चारो तरफ से लुभावने पकवानों की सुगंध से विवाह घर सरावोर है। पायल अपने सखी सहेलियों संग चहक रही है, उसके चेहरे की रौनक बयां कर रही है के वो कितनी खुश है और घनश्याम जी सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है की उनकी लाडली का बैवाहिक जीवन मंगलमय हो।


शाम का वक्त है, सखी सहेलियां मिलके हसी ठिठोली के साथ साथ पायल का सृंगार करवा रही है। पायल की माताजी बलाईया ले रही है उनकी प्यारी गुड़िया का। पायल की झील जैसी बड़ी बड़ी आंखों में आज पूरे विश्व-ब्रह्माण्ड की खुशियां झलक रही है। दुल्हन के वेशभूषा और आभूषण पहनने के बाद उसकी खूबसूरती देखते ही बन रही है। तभी पायल की एक सखी आ के संदेश देती हैं कि बारात आ गई...उसके बोलने के ततपश्चात सभी दूल्हा और बारात देखने नीचे चले जाते है। बारातियों का खूब स्वागत करते है घनश्याम जी व उनका पूरा परिवार। इधर दुल्हन बनी पायल कमरे में बैठी है, सहेलियां सब नीचे है बस दो चार बुजुर्ग महिलाएं ही पायल के साथ कमरे में बैठे है।


पायल दुल्हन वेश में अपने आप को निहार रही है आइने में...पर अचानक अपने मातापिता व घनश्याम जी के लिए मन व्येकुल हो उठता है उसका। बिदाई की पीड़ा उसे भी डसने लगी है, किसी तरह खुद के जज़बातों को संभाला ही था कि अचानक आवाज़ आई, "भाभी,अंदर आ सकती हूं?" संकुचाई सी घबराई सी पायल ने देखा के दरवाजे पे उसकी होने वाली ननद रीतिका खड़ी है। बड़े प्यार से होने वाली ननद को अंदर बुलाने पे वो कुछ देर इधर उधर की बातें करके, पायल के साज श्रृंगार की तारीफ करके बोलती है," भाभी, आपसे एक बात कहनी थी..."। पायल बोली, "बोलो ना ननद जी, होनेवाली भाभी से घबराना कैसा?", पायल के आश्वासन से रीतिका धीरे से उसको कहती है,"भाभी आप भैया से शादी के लिए मना कर दीजिए, भैया किसी और से प्यार करते है। और तो और भैया जिनसे प्यार करते है वो महिला आज इस शादी समारोह में उपस्थित भी है..."। रीतिका की बातों से पायल के चेहरे का रंग उड गया, पैरो तले जमीन खिसक गई। रीतिका तो वो बात बताकर चली गई किन्तु पायल को लगा जैसे उसकी गृहस्थी बसने से पहले ही उजर गई। हैरान परेशान पायल सोच में पड़ गई के ये क्या बात हो गई अचानक? और ये सब पहले क्यूं नहीं बताया रीतिका के परिवार वाले व उसका भाई अमन ने जिसके साथ पायल को आज फेरे लेने है। उसको गहरा धक्का लगा पर वो ये सोच रही है कि किसको बोले अब ये बात? कैसे बोले? उसके आंखो के सामने जैसे आंधेरा छा गया।


पायल सुन्न बैठी है, तभी सारी सहेलियां आ के उसको जयमाला के लिए ले जाने हेतु तैयार करने लगी। वो चुपचाप अपने सखियों संग जयमाला के लिए विवाह मंडप के तरफ रवाना होती है, उसके हृदय में कैसी कसक है वो केवल पायल खुद ही जानती है। पल में उसकी सारी खुशियों को ग्रहण लग गया हो जैसे, कदम आगे बढ नहीं रहे है उसके। चारो तरफ विवाह का धूम पर उसका मन इतना विचलित है, बार बार यही सोच रही है की वो क्या करने जा रही है? कैसे अमन से शादी कर लूं जब वे किसी और से प्यार करते है? लेकिन मां पापा व दादाजी को कितना ठेस पहुंचेगा अगर में अभी शादी से इंकार कर दूं तो। पायल का मन अशांत है, विचलित है।


मंडप में अमन खड़ा है, साथ ही अमन के बगल में एक सुंदर सी महिला भी खड़ी है। दूर से एकटुक उस महिला को देख पायल सोचने लगती है के वो जो अमन के पास खड़ी है, वहीं है क्या जिनसे अमन का प्रेम संबंध है? सोच में पड़ जाती है पायल। नज़रे झुकाए जैसे तैसे अपना मन मसोस कर वरमाला हाथ में लिए वो मंच तक पहुंचती है तो उसकी सहेलियां नज़रे उठाके दूल्हे राजा के तरफ देखने को बोलती है उसे। पर पायल को घृणा आ रही थी अमन के तरफ देखने से भी, बहुत बोलने पर नज़रे उठाके पायल अमन के तरफ देखते ही अमन मंदमंद मुस्कुराने लगा। और अमन के पास जो स्त्री खड़ी है वो भी मुस्कुराने लगी। पायल ने देखा के वो स्त्री और कोई नहीं वल्कि उसकी होने वाली सासू मां ही है। अमन को पायल का मन पढ़ने में एक मिनट भी नहीं लगा। उसने पायल की मनोदशा को भाप लिया की रीतिका के बातों से पायल सहम गई है। थोड़ा मुस्कुरा के वो बोलता है, "पायल आज घर पे सब कोई बोल रहे थे के माँ अपने बेटे का विवाह नहीं देख सकती हैं, माँ की नजर ना लग जाए अपने बेटे को इसलिए माँ को शरीक नहीं किया जाता शादी में। लेकिन मैं ए चीज नहीं मानता, मेरे शादी में माँ का उपस्थित होना अनिवार्य है क्यूं की माँ से इतना प्रेम जो है..और रीतिका ने जो भी तुमसे कहा वो सब बस एक मज़ाक था, तुमको थोड़ा आश्चर्यचकित कर देने के लिए, उस मज़ाक के लिए दिल से सॉरी पायल....मेरी धर्मपत्नी व अर्धांगिनी तुम ही बनोगी, मुझसे शादी करोगी ना पायल?"....

पायल, जो इतने देर से बुत बन सब सुन रही थी अब उसके गालों की लाली वापिस आ गई, और उसके आंखों से खुशियों के आंसू छलकने लगे...



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