सपने पूरे होते हैं
सपने पूरे होते हैं
आज फिर बंधन में भी रहकर आई एक डोर मेरी ओर से,
जग देखता रह गया मुझे जब मैं पतंग बनी तेरी डोर से,
तुमने तो कैद करके समझा हम बंध गए तुम्हारे बंधन में,
हम उड़ चले आजादी का पंख लिए पकड़ उस छोर को,
निश्चित जो कर दिया नियति ने जरूरी नहीं वही सही है,
ऊपर खुला हुआ विस्तृत नील गगन जो छू रहा मेरी डोर कोII
सीमा निम्न मध्य वर्ग से आई एक संस्कारी लड़की थी। उसके सपने बहुत ऊँचे थे, वो अपने जीवन में पढ़- लिखकर बहुत कुछ करना चाहती थी, एक सीधी सरल व्यवहार की लड़की जिसने जिन्दगी की एक सुंदर कल्पना की थी। परन्तु उसकी शादी कम उम्र में ही रोहित से करवा दी गई, रोहित अपनी माँ का लाडला और एक अकेला बेटा था I उसकी माँ को अपने बेटे से बहुत उम्मीदें थी I उसके घर में उसके पिता और एक छोटी बहन थीI शादी के बाद सीमा की पूरी दुनिया ही बदल गईI उसकी पढ़ने लिखने की इच्छा तो ऐसे बंद हुई जैसे शादी का लहंगा शादी के बाद अलमारी में बंद हो जाता हैI
रोहित के पिता को एक दिन अचानक लकवा मार जाता है और अबे साथ रहकर भी घर के जिम्मेदारियां नहीं उठा सकते थे I सारी जिम्मेदारियाँ रोहित और सीमा के कंधों पर आ गई I सीमा की जिंदगी अब घर और घरवालों को सँभालने में लग गई। सीमा बहुत दिल और मन से अपनी सारी जिम्मेदारियां उठा रही थी I पर मन में एक मलाल भी था उसके पढ़ने की इच्छा पूरी नहीं हो पाई I उसने जैसे अपने सपनों की डोर को काट दिया I सीमा ने घर की जिम्मेदारियां उठाने के लिए एक छोटी सी नौकरी शुरू कर दी जिससे रोहित को भी मदद मिल जाती थी। घर का खर्च चल जाता था और जो पैसे बचते थे रोहित की बहन की शादी के लिए बचा लिए जाते थे I इसी बीच एक दुखद घटना घटी रोहित के पिता अब नहीं रहे I
सासू माँ पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा I पूरा घर हिल- सा गया था I पर सीमा ने हार नहीं मानी उसी लगन से मेहनत से काम करते थी और घर की जिम्मेदारियाँ उठाती थी I उसने कभी अपने सपनों का जिक्र भी नहीं किया किसी से और ना ही रोहित ने उससे कभी पूछाI रोहित और सीमा के दो बच्चे हुए जिनका नाम जिज्ञासा और आस्था रखा I सीमा ने अपने बच्चों को पालने में बहुत मेहनत की उन्हें पढ़ा लिखा कर एक अच्छा इंसान बनाया I सीमा ने अपनी सास को मां की तरह माना था पर उसके साथ में कभी सीमा को अपनी बेटी नहीं माना था रोज ताने सुनते हुए काम करती थी I पर कभी उफ़ तक न किया और रोहित को ये सब देखकर कोई फर्क नहीं पड़ता था I
सीमा ने जो पैसे जोड़े थे ,उससे अपने ननद की शादी करवाईI शादी की विदाई वाले दिन सीमा को अपनी बातें याद आने लगे कि क्या सपने थे? उसने क्या सोचा था ?और क्या हो गया ?यह सोचते हुए उसकी आंखों में आंसू आ गए, उसने अपना मुंह पीछे घुमा दिया ताकि किसी को ना पता चले कि वो रो रही है I सीमा भगवान के पास हाथ जोड़कर कहती है, हे ईश्वर मेरी इच्छा तो पूरी ना हो पाई मेरे बच्चों की इच्छा जरूरी पूरी करना I जिज्ञासा और आस्था यह सब देख रहे थे, उन्हें पता था उनकी माँ ने कितनी मेहनत और परिश्रम से उन्हें पढ़ाया लिखाया है I
अगले दिन जिज्ञासा और आस्था एक पर्चा सीमा के हाथ पर रखते हुए कहते हैं माँ ये आपके लिए, सीमा हंसती हुई कहती है कि-मेरे लिए ,तुम ही पढ़ कर बता दो, जिज्ञासा और आस्था कहते हैं नहीं मां आप पढ़ो यह आपके लिए ही है, आपके लिए कॉलेज का फॉर्म है माँ आप अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती हो, तभी सासु माँ की आवाज आती है ,अब क्या करेगी ये पढ़ लिखकर घर के कामकाज कर ले वही बहुत है Iजिज्ञासा और आस्था की बात सुनकर सीमा खुशी से फूली नहीं समाती है अब तो उसके कदम जैसे जमीन पर नहीं पड़ रहे थे I आज उसके बच्चों ने उसे इतना बड़ा तोहफा जो दिया था I जिसकी उसने कल्पना ही छोड़ दी थीI और उसके सपने साकार होने जा रहे थे, तभी रोहित आता हैI रोहित यह सब सुन चुका था I उसने सीमा को गले से लगा लिया और कहा जाओ लगा लो पंख उड़ जाओ दूर गगन मेंI
