सफर
सफर
अरे सुनैना कहां हो ?
क्या कर रही हो ?
अभी तक तैयार क्यों नहीं हुई ?
यह कहते हुए नीरज कमरे में दाखिल हुआ ।
बस 10 मिनट और लगेंगे तैयार होने में थोड़ा धीरज रखो।
नीरज को बहुत गुस्सा आ रहा था एक दिन पहले से जब उसने सुनैना को बोल दिया था कि तुम समय पर तैयार रहना तो उसको यह लापरवाही बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।
ये क्या 10मिनिट के बाद भी सुनैना कमरे के बाहर नहीं निकली तो उसको कुछ घबराहट सी महसूस हुई।
अंदर जाकर देखा तो सुनैना बेहोश पड़ी थी।
क्या सोचा और क्या हो गया।
आनन-फानन में तुरत उसको अस्पताल ले जाया गया और उसको आई सी यू में भर्ती कर दिया और वह लाल बत्ती तो जैसे नीरज की जान ही लिए जा रही थी एक-एक पल उसका एक सदी के समान कट रहा था और वह ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था कि उसकी सुनैना उसको वापस लौटा दे आज तक उसने अपनी विवाहित जिंदगी में जो गलतियां की थी वह एक-एक करके उसकी आंखों के सामने चलचित्र की भांति घूमने लगे। काश यह लाल बत्ती की नौबत आने के पहले ही वह संभल जाता।