Bindiyarani Thakur

Tragedy

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Bindiyarani Thakur

Tragedy

सफेद दाग

सफेद दाग

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उमा जी अपने कमरे में बैठी हुई हैं, बाहर बैठक में पोती को देखने के लिए उनके होने वाले सास-ससुर आए हैं। इतना बड़ा अवसर है लेकिन उमा जी कमरे में रहने को विवश हैं, बहू ने सख़्ती से कहा है जबतक वो चले नहीं जाते आप कमरे में ही रहिए, ना जाने आपको देखने के बाद वो मेरी बेटी से रिश्ता जोड़ने से ही इंकार ना कर दें। इसीलिए अच्छा यही है कि आप यहीं रहें बाहर ना आएं। उमा जी का दिल भर आया है वे पुराने दिनों को याद करने लगीं, एक समय था जब इस घर में वे राज करती थीं मजाल है एक पत्ता भी उनकी मर्जी के खिलाफ हिला हो। पति तो लोगों की नज़रों में जोरू का गुलाम की उपाधि से अलंकृत किए गए थे। बच्चे भी संस्कारी थे लेकिन अब सबकुछ बदल गया है, पति के गुजर जाने के बाद धीरे-धीरे सबकुछ बदलने लगा बेटे बहूओं की हाँ में हाँ मिलाने लगे और उमा जी अपने ही घर में परायों की तरह हो गईं। हालांकि उपर से सब अब भी उनकी इज़्ज़त करने का दिखावा करते हैं, लेकिन वे जानती हैं कि सब उनसे दूर भागते हैं, दूर दूर से ही बात करते हैं।

दरअसल उनके शरीर में सफेद दाग हो गए हैं और गाँवों में आज भी इसे छूूूत की बीमारी माना जाता है।  

लोग तो इसे कुष्ठरोग या कोढ़ का ही एक रूप मानते हैं। भगवान ऐसे लोगों को बुद्धि दे। उमा जी की बहू भी ऐसे लोगों में से एक है वह उमा जी के हाथ से बना कुछ भी नहीं खाती है और ना ही किसी को खाने के लिए देती है। उनसे दूर से बातें करती है, बच्चों को तो पास भी फटकने नहीं देती है, उनके बर्तन भी अलग कर रखे हैं उनके कपड़े धोने तो दूर की बात है यहाँ तक कि जिस तार पर उमा जी कपड़े सुखाती हैं उस पर और कोई कपड़ा नहीं सुखता।

उमा जी ख़ुद को बहुत ही बेबस और लाचार समझती हैं, एक बार बेटी इलाज के लिए ले गई थी पर इलाज लगातार न चल सका बहू ने रूपयेे देने से मना कर दिया तो इलाज नहीं हो पाया, बेटी भी तो दामाद पर आश्रित है वह भी कितना कर पाती।

इस सफेद दाग ने जीते जी उन्हें मार दिया है उनका मान सम्मान सब छीन लिया है, हाथ पाँव रहते एक कोने में पड़ी हैं। अब उन्होंने खुद को समय के ऊपर छोड़ दिया है कब उपरवाला बुलाए और इस सब से मुक्ति मिले।।

 

( सफेद दाग एक त्वचा रोग है जो हमारे शरीर में मेलानिन नामक तत्व की कमी के कारण होता है, परन्तु आज भी लोग इसे कुष्ठरोग समझते हैं जो कि बहुत ही गलत है,उमा जी की तरह ही कितने ही इस सब से गुजरते हुए जिन्दगी से निराश होकर कड़वे घूँट पीकर रह जाते हैं,सफेद दाग छूआछूत की बीमारी नहीं है ये जागरूकता फैलाने की जरूरत है)


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