स्पेशल पाव भाजी
स्पेशल पाव भाजी
मेरी नई-नई शादी हुई। शादी से पहले मेरे पति (श्वेत ) और मैं(डॉली) ने मेल ,चैटिंग, पत्र ,कॉल डट कर किये, उससे हमारा प्यार दिन बे दिन बढ़ने लगा।
फिर एक दिन चैटिंग के दौरान पता चला कि श्वेत कभी रसोई में गए ही नही। उन्होंने कभी चाय भी नहीं बनाई पर व्यंजन खाने का उन्हें बहुत शौक है।शायद माँ और तीन भाभी माओं का सुख बचपन से 25 साल तक मिला।
"शादी के बाद रसोई में मेरी हेल्प तो करोगे जिससे मुझे आपके परिवार के सदस्यों का दिल जीतने का मौका मिले।"
मैंने बड़े प्यार से उनको कहा।
मुझे खाने के मामले में एकदम अलग ससुराल मिला, यहां चटपटा और तीखा खाना पसंद किया जाता है और मेरे पीहर में सभी एकदम कम मिर्च का और खट्टा पसंद करते हैं।
अब शादी के बाद मैं रसोई में कुछ भी बनाती तो वह मेरे समीप आ जाते और अपने घर के स्वादानुसार खाना बनाने में मेरी हेल्प करते।
मैं भी पाककला में मध्यम रूप से ही निपुण थी, नया ज्यादा कुछ बनाना आता नहीं था। हाँ होम मैनेजमेंट कोर्स व मम्मी की दी गई पाककला से थोड़ा आत्मविश्वास आ गया था।
फिर मैं पहली बार पगफेरे के लिए पीहर गई मेरी मम्मी गांव में पोस्टेड थी, उनको किसी जरूरी मीटिंग के लिए स्कूल जाना था अतः वह सुबह का खाना बना कर जल्दी में निकल गई।पीछे से मेरी तबीयत अचानक बिगड़ गई और मैं सो गई। दोपहर में मेरे मेरे प्रिय ने यह तय किया कि आज शाम का डिनर वह बनाएंगे और उनके हाथ की आज चटपटी पाव भाजी बनायी जाएगी।
मेरे पापा व भैया आश्चर्यचकित रह गए। श्वेत व भैया बाजार से पावभाजी का सामान लाए और श्वेत ने चटपटी पाव भाजी तैयार की। शाम को जब मेरी नींद खुली तो रसोई से मसालो की खुशबू आ रही थी।मम्मी भी 7:00 बजे तक अपनी मीटिंग पूरी करके आ गई।
उनको भी घर में घुसते ही पाव भाजी की खुशबू आई।
मेरे पापा ने बड़े जोश से कहा कि आज तो डिनर हमारे जवांई जी ने बनाया है।
मम्मी ने थोड़े शर्मिंदगी वाले लहजे से कहा "गाडी लेट हो गई , पर आज शाम को तो श्वेत जी को बाहर डिनर के लिए ले जाना था " वह पापा की तरफ देख कर बोली। श्वेत नें तुरंत कहा "मम्मी होटल के खाने में वो बात नही आप तो आज मेरी पाव भाजी को चख कर बताओ ,कैैसी बनी है।
आपकी जयपुर के सारे होटल फेल हो जाएंगे और सब हंसने लगे।
हम सबने टेबल में बैठकर बड़े आनंद से चटपटी पाव भाजी का स्वाद लिया।मेरे पापा कभी पावभाजी नहीं खाते हैं थे पर जवांई के हाथ की पाव भाजी इतनी स्वादिष्ट लगी की वह अपनी उंगलियां चाटते रह गए।
सच में मेरे श्वेत जितने सुंदर हंसमुख और प्यारे हैं उतनी ही स्वाद भरी उनके हाथ की पाव भाजी थी।
डिनर खत्म होने के बाद मैंने श्वेत से पूछा "जब आप कभी रसोई में गए ही नहीं तो इतनी स्वादिष्ट पाव भाजी बनानी आपको कैसे आई"।
तब उन्होंने मुस्कुराते हुऐ जवाब दिया "कि जब वह कॉलेज में थे तब अपने दोस्तों के साथ अक्सर भोलेनाथ की पाव भाजी खाने जाया करते थे। वह बीकानेर का सबसे प्रसिद्ध पाव भाजी वाला है।वह उनके सामने ही पाव भाजी बनाया करता था उसे देखकर वह भी पाव भाजी बनाना सीख गए। मुझे मेरे श्वेत का पहला डिनर स्पेशल पाव भाजी हमेशा याद रहेगा।
साथ में डबल खुशी इसलिए थी कि नयी बहु तो अपने ससुराल में नया कुछ बनाती है, पर जब जवांई ने भी पहली बार ससुराल में अपने हाथों के स्वाद से सबका दिल जीत लिया।
अब हमारी शादी को 19 साल हो गए हैं कई बढ़िया सब्जियां व मिठाई हम घर पर मिलकर बनाते हैं।मुझे कभी खाना बनाने का मन नहीं हो या लेट हो जाए तो श्वेत, तानी(बेटी) व अर्णव (बेटा) मिलकर स्वादिष्ट डिनर बनाते हैं और मैं चटखारे लेकर खाती हूँ।

