Ekta shwet

Drama Inspirational Children

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Ekta shwet

Drama Inspirational Children

परछाई

परछाई

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मां को अंतिम सफर में विदा करने के बाद जो ही आकाश घर में आया इस सन्नाटे में चारों तरफ मां ही दिखाई दे रही थी। उसे याद आ रहा था कि मां बरामदे में पाटे में बैठी हैं और जैसे ही वह आया है तो कह रही है कि लल्ला तू घर आ गया और आकाश पाटे के पास जाकर बैठ गया।

 उसे लगा की मां की तस्वीर भी उसे दिन भर की बातें बताएगी।फिर मां अपने पास एक छोटा डिब्बा नाश्ते का निकालती और उसको उसमें से कोई ना कोई चीज निकाल कर खिलाती। आकाश घर में सबसे छोटा था इसलिए उसे मां का लाड प्यार में ज्यादा मिला।

 आज मां का जाना उसके लिए मानसिक अवसाद का रूप ले रहा था। रूपा पत्नी व बेटी रोज आकाश की हालत देखते और सोचते कि आकाश मां के जाने के बाद कहीं खो सा गया है और दुखी होते।

 आज सुबह से ही आकाश का मन व्याकुल था। घर में आए सभी सदस्य 15 दिन पूरे कर अपने अपने घर को लौट रहे थे। घर में और अद्भुत सन्नाटा छाने वाला था।

 आज से आकाश ने ऑफिस भी ज्वाइन कर लिया था। सुबह आकाश ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था। तभी दौड़ते हुए उसकी बिटिया मानसी आई और मानसी ने कहा पापा शाम को जल्दी आ जाना आज ढेरों बातें करेंगे। शाम को जब आकाश घर आया तो पाटे में मानसी बिटिया पढ़ाई कर रही थी आकाश उसके पास आकर बैठ गया। उसने फिर दादी मां वाला डब्बा निकाला और पापा को उसमें से कुछ खाने को दिया फिर उनसे से ढेर सारी दिनभर की बातें की। जब आकाश ने मानसी के हाथ से मिठाई खाई तो उसे लगा मानो उसकी मां मानसी के रूप में उसके पास आ गई है। आकाश ने जब मानसी से पूछा की मानसी तूने मेरे लिए चीज बचा कर रखें थी वह तूने किस से सीखा।

  भोली भाली मानसी ने जवाब दिया की पापा आपको दादी कुछ ना कुछ ऑफिस से आने के बाद खिलाया करती थी तो मुझे बहुत अच्छा लगता था। वह कहती थी जब मैं ना रहूं या कहीं चली जाऊं तब तुम अपने पापा का ख्याल ऐसे ही रखना और मेरी परछाई बनना। 

 आकाश ने मानसी को गले लगा लिया और छोटी सी बात उसके दिल के गहरे अवसाद को कम कर गई। वह सदा अपने बेटी में अपने मां की परछाई देखने लगा।


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