घर परिवार
घर परिवार
आज मेरे 4 वर्ष से पुत्र ने स्कूल से आकर मुझसे पूछा पापा आज मैडम ने घ से घर सिखाया है । जिसमें मम्मी पापा भाई बहन सब साथ रहते हैं । पापा हमारा तो फ्लैट है हम सब साथ रहते हैं फिर घर किसे कहते हैं ।सच्ची तो कह रहा है मेरा बेटा राहुल और मैं अपने घर की याद में खो गया।
पिताजी जी ने 50 वर्ष पूर्व जमीन खरीदी थी जिसमें हम चार भाई व एक बहन रह सकें। पापा की बाहर नौकरी थी इस कारण मां ने पास ही में किराए का मकान लेकर खड़े होकर घर बनवाया था। एक कमरा बनते ही हमने किराए का मकान छोड़ दिया और अपने घर में रहने लगे। बाहर खुल्ला मैदान था ।मां का वह कमरा जिसमें वह सिलाई करती थी और हमारी फीस भरी जाती थी। पापा की तनखा तो घर चलाने में ही खत्म हो जाती थी।
धीरे-धीरे हम सब भाई पढ़े एक से दो कमरा बने दो से तीन भाइ रोजगार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लग गए। उनको भी रोजगार मिल गया। पापा का रिटायरमेंट हो चुका था। भाईयों की भी पिताजी ने शादी की।
अभी मेरी जिम्मेवारी पूरी उनके पास थी मेरे पिताजी और माताजी ने हमेशा यही सोचा था कि मैं पढ़ लिखकर डॉ बनूं। मेरी माता जी की यह इच्छा थी कि उनके चारों बेटे में से एक बेटा डॉक्टर जरूर बने ।अतः मां ने पापा से जिद्द कर ईंटों का छोटा कमरा और उसमें मेरे लिए छोटी मोटी सुविधाएं कर मेरा भी एक कमरा बना।
आज मैं डॉक्टर बन गया हूं। मां पापा भी नहीं रहे। आज भी याद वही घर आता है जिसे बचपन बीता वो कमरा जिसमें मैंने अपनी पढ़ाई की। जिसने मां बड़ा गर्व से कहती थी कि मेरा बेटा डॉ बनेगा। बाहर पोस्टिंग की वजह से यहां अपनी पत्नी के साथ फ्लैट में रहता हूं। अब घर बनाना इतना आसान भी नहीं है। घर तो आज भी है पर मां पापा नहीं हैं ।बस यादो का कमरा हमने बना लिया है। जिसमें आज भी उनकी यादें बसी हैं ।सारा सामान वैसे ही व्यवस्थित रखा है जैसे मां रखा करती थी। हमने अपनी मां पापा के साथ पारिवारिक तक तस्वीरें लगा रखी हैं जो हमेशा ये एहसास दिलाती हैं कि मां पापा कहीं नहीं जाते वह हमारे साथ रहते हैं। संस्कारी रुपी घर के रूप मे।
आज मैं भी यही कोशिश करता हूं। मैं भी मेरे माता पिता की तरह अपने बच्चों में संस्कार डालकर एक घर का निर्माण करूं ।