हमारा अंश
हमारा अंश
प्रीति नरेंद्र की शादी को 6 महीने ही बीते थे कि प्रीति 1 दिन चक्कर खा के घर में थी गिर गई डॉक्टर को दिखाया फिर प्रीति की सास मोहिता जी ने प्रीति को गले लगा कर कहा कि बेटा तुम मां बनने वाली हो।नरेंद्र प्रीति के पास ही खड़ा था यह खबर सुनकर खुशी की बजाए दोनों के पैरों से जमीन ही खिसक गई ।
नरेंद्र ने अपनी मां से कहा मां अभी हम इसके लिए कोई फैसला नहीं कर सकते अभी हमारा कैरियर टाइम है इसलिए यह सब सोचने की अभी हमें जरूरत नहीं है ना हम उसको पाल पाएंगे मुझे भी अगले सप्ताह दुबई प्रमोशन लेकर जाना है। साथ में प्रीति को भी नया प्रोजेक्ट पूना में 3 महीने बाद मिलने वाला है यह अपॉर्चुनिटी हमारी लाइफ में फिर नहीं आएंगी।
माताजी ने नरेंद्र प्रीति से कहा ठीक है एक बार और विचार कर लो प्रीति के परिवार में भी हम बात कर लेते हैं फिर फैसला कर लेंगे।
प्रीति के माता-पिता ने भी प्रीति को बच्चा रखने की हिदायत दी और यह भी समझाया कि अभी उनका व
सास ससुर का शरीर चलता है तो वह अपने कैरियर को देखें बच्चे की जिम्मेवारी वह संभाल लेंगे।
डॉक्टर से भी बात की डॉक्टर ने भी मना कर दिया और 3 महीने बाद रिमूव करने का फैसला किया। नरेंद्र दुबई चला गया प्रीति को भी तबीयत के कारण घर में ही पूनावाला प्रोजेक्ट मिल गया और वह ऑनलाइन काम करने लगी। प्रीति के भी दिन प्रतिदिन बच्चे के प्रति एहसास बढ़ते जा रहे थे डॉक्टर ने रिमूव करने से पहले फर्स्ट सोनोग्राफी सजेस्ट की पहली सोनोग्राफी हुई जैसे ही सोनोग्राफी प्रीति ने देखी उसके मन में भरी हुई ममता उमड पड़ी और उसने डॉक्टर से कहा नहीं मेरा बच्चा मुझे रिमूव नहीं कराना मैं इसको अपने जीवन में लाऊंगी। माताजी सुनकर खुश हुई और उन्होंने नरेंद्र को फोन लगाया पर नरेंद्र कोई मीटिंग में होने की वजह से अमिता जी का फोन अटेंड नहीं कर पाया। मोहिता जी ने नरेंद्र को सोनोग्राफी रिपोर्ट भी भेज दी नरेंद्र ने जब मीटिंग के बाद मैसेज रिपोर्ट देखी तब है एकदम से व्यथित हो उठा उसे लगा कि उससे कोई बड़ी भारी भूल हो रही है उसके मन का पिता जाग उठा और सच में लगा अरे यह तो मेरा ही अंश है इसने तो आकार भी ले लिया है और मुझे जो अपॉर्चुनिटी चाहिए थी वह तो इसके आने से पहले ही सब हमारी खुशियों की झोली में भर दी ।
नरेंद्र ने अपनी मां को फोन किया और पूछा प्रीति कहां है तब माताजी ने कहा कि प्रीति अपने माता पिता के साथ हॉस्पिटल से 8-10 दिन आराम करने चली गई।
अच्छा मां मैं प्रीति से बात करता हूं। फटाफट फोन रख दिया। इन 10 मिनट में ही नरेंद्र को लगा जैसे उसने बहुत बड़ा अपराध कर लिया है। प्रीति को फोन लगाकर पूछा कैसे हो प्रीति। प्रीति ने भी कहा तुम कैसे हो और कहने लगी कि नरेंद्र मैं इस बच्चे को अपने जीवन में लाना चाहती हूं।
नरेंद्र मै भी यही कह रहा था हमें इसके आने से पहले ही इसके प्रथम चित्र से ये एहसास हो गया कि यह हमारा ही अंश है।और हम खुशियां खत्म करने जा रहे थे ।यह भी तो हमारे भविष्य का हिस्सा है। इसलिए हम इसे अपने जीवन में जरूर लाएंगे।
और अगले सप्ताह नरेंद्र अपने बच्चे के लिए खूब सारे खिलौने वह कपड़ों के साथ लौट आया जिसको आने में अभी 6 महीने बाकी थे।
दोस्तों में इस कहानी से यह कहना चाहती हूं।कि आजकल कैरियर के के लिए जागरूक होना अच्छी बात है । आगे ही आगे बढ़ने की होड़ में हमें यह नहीं भूल जाना चाहिए कि हमारे और भी दायित्व हैं जो हमें समय रहते पूर्ण करने हैं।
