सोलमेट
सोलमेट
साथ खेले हम बचपन से, साथ पढ़े और कॉलेज भी साथ ही गए, एक ही सब्जेक्ट थे दोनो के, बहुत एन्जॉय की स्कूल कॉलेज की लाइफ।
ये कहानी मैं यानी सोनोरा और मेरे बचपन के साथी कार्तिक की है, हम दोनों के परिवार का एक दूसरे के यहाँ बहुत आना -जाना था दोनो के पापा अच्छे मित्र जो थे हम भी बचपन से ही मित्र थे, कॉलेज होने के बाद इसे संयोग ही कहा जायेगा दोनो की जॉब कॉलेज में लेक्चरर के पद के लिए हो गई, कितना मेल खाते थे दोनो के विचार एक बैठा कॉम्पिटिटिव एग्जाम में तो दूसरे को तो बैठना ही था। कार्तिक अँग्रेजी पढ़ाने और मुझे हिंदी लेक्चरर पद मिल गया ,फिर एक ही कॉलेज में हम साथ थे। हर विषय पर हम घण्टो बात करते, खूब हँसते बातें करते। और यह दोस्ती कब प्यार में तब्दील हो गई कुछ पता ही नही चला। कार्तिक ने अपनी मम्मी और पापा को सब बता दिया और वे आ गए मेरा हाथ मांगने मेरे पापा मम्मी से, बड़ा आश्चर्य हुआ पापा मम्मी को भनक जो नही पड़ी थी उनके कानों में कभी। लेकिन अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने वे भी सहर्ष राजी हो गए।
आज सोनोरा अतीत के गलियारों से वे पल चुराने पहुंच गई है कि कैसे उनकी शादी हुई और साल भर बाद ही अर्नव का जन्म हुआ, बच्चे की परवरिश में समय बिताना बच्चे का बड़ा होकर बाहर पढ़ने जाना और अब उसकी भी अच्छी जॉब मुम्बई में, इस बीच समय का पहिया घूमता रहा उसकी जॉब भी चलती रही पर पिछले साल सोनोरा और कार्तिक दोनों रिटायर हो गए हैं और बेटा आजकल सिंगापुर में है, उसका भी ब्याह कर दिया है और आजकल दोनो सिंगापुर में है बेटा साल में एक बार आता है, समय नहीं है अब उसके पास उनके लिए। नई पीढ़ी तैयार हो चुकी है और हमारे माता पिता अब रहे नहीं।
"अरे अंधेरे में क्यों बैठी हो"-जब कार्तिक ने कहा तब उसने बाहर देखा शाम हो चुकी थी।
"तुम बेटे के जाने के बाद उदास रहने लगी हो"
"नहीं ये बात नहीं एक न एक दिन का आगे का रास्ता तय करने उन्हें बाहर निकलना था "
"फिर क्या हुआ, कार्तिक ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा।"
"बच्चों के जाने के बाद घर सूना हो गया है मन नहीं लग रहा।"
मन लग जायेगा सोनोरा, कल से हम अपने शौक, रुचियों को पूरा करने में समय बिताएंगे।"
हमने अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जी अब बच्चों की बारी है उन्हें खुले आकाश में विचरण करने दो।"
"और हम "
हम दोनों का एक दूसरे से वादा है भूल गई क्या, हमें एक दूसरे के लिए जीना है अब तो समय मिल है रिटायरमेंट के बाद, आधा जीवन तो जवाबदारियों में निकल गया अब तो सही समय आया है अपने आपको जीने का।"
"सही कहा तुमने, सोनोरा ने मुस्कुरा कर कार्तिक के माथे पर चुंबन अंकित किया, दोनो एक दूसरे का हाथ थामे नई सुबह की प्रतीक्षा करने लगे।
सोनोरा को अपने सोलमेट पर बहुत प्यार आ रहा था कैसे उसके दिल की हर बात वह आसानी से जान जाता है और कभी उसकी आँखों मे आँसू की एक बूंद भी आने नही देता, प्यार का यह रूप विधाता ने खुद रच कर उसकी झोली में डाला था वह बहुत खुश थी, कार्तिक के रहते वह कभी अकेली नहीं है, ना ही कोई उदासी उसके आसपास भी फटक सकती है, यह दोनों के प्यार की ही ताकत है।
