संवाद ........
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वर्तमान स्तिथि, आधुनिक दुनिया, जरूरत से ज़्यादा दिखावा, सच कहूँ तो हम एक ऐसे समाज में बस चुके हैं, जहाँ लोगों की भावनाओं को रौंद दिया गया है और प्रत्येक व्यक्ति सिर्फ़ दिखावे में ज़ी रहा है। कहने को तो सभी कहते हैं कि जीवन में जब कोई मुश्किल आये तो हमारे इर्द-गिर्द जो लोग हैं उनसे अपनी समस्या साझा करें पर यह वाक्या सिर्फ़ एक कहावत बन के रह गया है या यूँ कहें कि उस व्यक्ति के जिंदगी में ऐसा कोई मौजूद ही नहीं होता जिससे वह निःसन्देह, बेफ़िक्र, बे-झिझक अपनी पीड़ा अपना दर्द बाँट सके। हम सभी दिखावे की ऐसी दुनिया मे मग्न हो चुके हैं कि कोई व्यक्ति यदि भीतर से परेशान भी है तो हम जानने की कोशिश तक नहीं करते। हाल ही में एक दिन मैं थोड़ी उदास थी, व्यक्ति के बात करने के लहज़े से पता चलता है कि व्यक्ति भीतर से कुछ उदास है मैंने मेरी एक घनिष्ठ सखी से बात करना चाहा पर जब मैंने उससे बात की मेरी सफलता की चकाचौंध में वह सोच रही थी कि इसे भला कोई तकलीफ़ कहाँ होगी यह सोचकर उसने मुझसे बात तक नहीं कि और कुछ थोड़ी सी बात की भी तो अजीब निराशाजनक जवाब दिए, इस तथ्य से मुझे यह बात समझ आई है कि अगर आप सफलता की ओर बढ़ने लग जाते हैं तो यह बात अडिग है कि आपके अपने भी आपको छोड़ने लगेंगे आप अकेले हो जायेंगे आपकी तरक्की आपकी दुश्मन हो जायेगी। मेरे साथ हुए इस छोटे से वाक्या ने यह बात सच साबित कर दी कि यदि आप सफल होने लगते हैं तो लोग आपको सफल समझने लगते हैं फिर वे यह भूल जाते हैं कि वह भी इंसान है उसे भी तकलीफ़, परेशानी हो सकती है।