तेज़ाब से तहज़ीब तक
तेज़ाब से तहज़ीब तक
साइकल पर वह लड़की, और एक पूरी बोतल में वह एसिड लेकर उसका पीछा कर रहा था। आखिर क्या हुआ था उस वक्त वह लड़की क्यों घबराई सी भागे जा रही थी। वह लड़की इतनी क्यों डर गई आख़िर उस लड़के को देख जो तेजी से उसका पीछा कर रहा था। उस लड़की की साइकिल की रफ्तार भी काफी थी कुछ हड़बड़ाई सी भाग रही थी उसी वक़्त वह रास्ते में एक पत्थर से टकराई और गिर पड़ी। वह लड़का तेज़ाब की बोतल हाथ मे लिये था। वह भी रुक गया और उस लड़की से कहने लगा कि वह उसको बहुत चाहता है और वह उससे शादी करना चाहता है। परंतु लड़की ने कहा कि वह उसे जानती तक नही न ही मैं तुमसे कोई सम्बन्ध रखना चाहती हूँ, यह बोल ही रही थी कि उस लड़के ने तेज़ाब से भरी बोतल खोली ओर सीधे उस लड़की के मोह पर दे मारी। वह चिल्लाई चीखने लगी। मगर उस बेरहम लड़के को जरा भी तरस नही आया। वह कहने लगा कि प्रेम में मुझे न करने वाली तुम्हें किसी ओर का होने नही दूँगा। वह लड़की तड़पती रही, मदद के लिए आवाज़ लगाती रही मगर कोई भी नही आया। जब काफी समय बीत चुका था, एक गाड़ी वहाँ से गुजरी, उस लड़की को इस हालत में देख तत्काल अस्पताल लेकर गये। उस लड़की का चेहरा जल कर पूरी तरह बेकार हो चुका था। क्या प्रेम हैवानियत बन चुका है या प्रेम का नाम लेकर लड़कियों केजिस्म से खेलने का रवैया बन गया है। क्यों खुद के देश में ही लड़कियों, बेटियां महफूज नही हैं। वे क्यों आज़ाद पंक्षी की तरह नही उड़ सकती। उन्हें क्यों इस तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। आख़िर कब तक,
इन सब से परे नारी तुम क्यों खो चली नारीत्व
तुम क्यों नही ज्वाला बन करती संघार
तुम क्यों नही उठाती माँ काली की तरह तलवार
तुम क्यों डर कर बैठी हो
तुम क्यों सब सह कर रुकी हो
तुम नदी हो तुम न ठहरो
तुम दिखाओ अपने बहाव की ताकत
तुम उठो और जगाओ सभी को
तुम चुप मत बैठो
तुम जागो, तुम जागो।