Ranjana Mathur

Abstract

4.5  

Ranjana Mathur

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संस्कार या विकार

संस्कार या विकार

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अनुकृति का परिवार एक सुखी एकल परिवार है। पति-पत्नी व एक सात वर्षीया प्यारी सी बेटी। अनुकृति व उसके पति रोहण में पारस्परिक अच्छा प्रेम व सामंजस्य है। इधर कुछ दिनों से न जाने क्यों नन्ही बिटिया पंखुरी एक छोटा भाई या बहन लाने की निरन्तर ज़िद कर रही है जिसका कोई जवाब दोनों के पास नहीं। दम्पत्ति की सोच यह है कि महंगाई के युग में एक संतान ही भली। अतः वे बच्ची को तरह- तरह से बहलाने लगे। 

 आज रोहण के आफिस जाने के बाद पंखुरी की सहेली अन्वी उसके साथ खेलने घर पर आई। दोपहर को आंगन से कपड़े उठकर अंदर लाते हुए अनुकृति की उस समय पैरों तले ज़मीन खिसक गई जब उसने दोनों नन्ही बालिकाओं का आपसी वार्तालाप सुना-

अन्वी के घर पर उसका एक छोटा भाई था और अन्वी बार- बार उसकी याद कर रही थी। 

तब उदास होकर पंखुरी बोली-"मेरे पापा तो मम्मी को न्यू बेबी लाने ही नहीं देते लेकिन मुझे एक सिबलिंग चाहिए। 

इस पर अन्वी ने कहा-" ओ ! वेरी सिंपल।" 

"यदि पापा मम्मी को मना करते हैं तो मम्मी किसी दूसरे अंकल से प्यार करें और मेक ए बेबी" 

"फिर वह तेरी मम्मी का बेटा ही होगा न तब तेरा तो सिबलिंग ही होगा न"

" ये तुम्हें किसने बताया अन्वी बेटा" अनुकृति ने अचानक कमरे में प्रवेश करते हुए अन्वी से पूछ लिया। 

" हाँ ! आंटी हमने सीरियल में देखा था। " बच्ची हिचकते हुए बोली। 

अनुकृति हतप्रभ !


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