जलपरी

जलपरी

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नगर के सुप्रसिद्ध अलंकार पब्लिक स्कूल में गणेशोत्सव का समापन समारोह बड़े धूमधाम से सम्पन्न हो रहा है। 

"गणपति बप्पा मोरिया। 

अगले बरस तू जल्दी आ.... " और इस पुनीत संगीतमय उद्घोष के साथ गणपति महाराज की जय-जयकार के साथ विद्यालय की प्राचार्या जी व उप प्राचार्या जी के साथ बड़े-बड़े बच्चों के द्वारा हाथ लगाकर गणेश भगवान की मिट्टी से निर्मित विशालकाय मूर्ति को विद्यालय में बने बड़े से हौद में विसर्जित कर दिया गया। 

इस विशाल हौद को एक बड़े छेद के माध्यम से लोहे के पाइप से जोड़ा गया है जिसके दूसरे छोर पर प्लास्टिक का लम्बा पाइप लगा है जिसके द्वारा इस हौद का पानी विद्यालय के बगीचे के लिए होता है।

मूर्ति पूर्णतः डूब गयी व शनैः-शनैः घुलती गई। 

गणेश विसर्जन के बाद हौद के पानी को वाइपर्स की सहायता से थोड़ी- थोड़ी मिट्टी सहित पाइप में से बगीचे में भेजा गया जिससे वह मिट्टी भी बगीचे की क्यारियों की मिट्टी में घुलमिल गयी। 

क्यारियों में किसी को भी, यहाँ तक कि माली काका को भी, पैर रखने की सख्त मनाही थी। कारण यह कि गणेश विसर्जन की पावन माटी इसमें मिली थी।

दो माह बाद वहाँ के माली काका ने 

प्राचार्य को खुशखबरी दी कि इस बार सब्जी व फल-फूल हर वर्ष की अपेक्षा तीन गुना अधिक हुई है। 

प्राचार्या जी ने खुश होकर कहा - 

"हम इसे एक तरह से गणपति भगवान का आशीष समझें और प्रकृति के प्रति हमारी आस्था का सुपरिणाम भी। "

प्राचार्य महोदया ने समस्त स्टाफ व बच्चों को एक-एक बार घर के लिए सब्जियों का वितरण करने के आदेश दिए। आज से सारे बच्चे अपनी जलपरी से और अधिक स्नेह करने लगे थे। 

प्राचार्या महोदया ने अंबुजा मैम को बुलाकर शाबाशी दी एवं वार्षिक उत्सव में अंबुजा मैम की "जल संरक्षण के प्रति जागरूकता" की सराहना की। उन्हें एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि दे कर पुरस्कृत किया। 

प्राचार्या जी ने कहा - "अंबु का अर्थ है जल।" अंबुजा" ने अपने नाम को सार्थक किया है। " 

"आप वाकई में बच्चों की जल परी हैं...... "

और बच्चों के करतल घोष से 

स्कूल का आॅडीटोरियम गुंजायमान हो उठा। 

इस बार का गणेश विसर्जन था ही अनूठा और लीक से कुछ अलग हटकर।

अगले दिन...... 

नैतिक शिक्षा के पीरियड में कक्षा में" जल परी" बच्चों को बड़े प्यार से सिखला रही है - 

"दुनिया में लगभग नब्बे प्रतिशत व्याधियों का कारण गंदा और दूषित जल है।" 

" क्या हम और आप इस सत्य को नकार सकते हैं ?"

"नहीं कभी नहीं "

समवेत स्वर में सारे बच्चे अपनी प्यारी जल परी मैम का समर्थन कर रहे थे। 

"तो हमें क्या करना होगा...? "

अपने घर में सबको समझाना पड़ेगा कि... 

" नदी, तालाब, कुंए में पूजा सामग्री विसर्जित न करें और कूड़ा कचरा न फेंकें। "

सब बच्चे अपनी जलपरी के इस नए अभियान से बहुत खुश थे और उनके जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण के इस सार्थक संदेश को भविष्य में चहुंओर प्रसारित करने के लिए कटिबध्द भी।


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