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Pawanesh Thakurathi

Romance

3  

Pawanesh Thakurathi

Romance

संजीवनी

संजीवनी

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वह अक्सर उदास रहती थी। उसके उदास रहने के कारण मैं भी मुरझाया गेंदा बन जाता था, लेकिन आज उससे अनायास ही बाजार में मुलाकात हो गई। वह परचून की दुकान से सेंधा नमक ले रही थी। मैं बोला- "ये भी कोई लेने की चीज है।"

"तुम बताओ, क्या है लेने की चीज ?" वह बोली।

"वह तो तुम पहले ही ले गई।" मैंने जवाब दिया।

मेरा इशारा समझ वह मुस्कुरा दी। उसका मुस्कुराना था कि हवा में जैसे खुश्बू बिखर गई। यूँ लगा जैसे मुस्कुराना दुनिया की सबसे खूबसूरत क्रिया है। उसके मुस्कुराने के रूप में जैसे मुझे संजीवनी मिल गई थी।



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