Kunda Shamkuwar

Abstract Inspirational Others

2.0  

Kunda Shamkuwar

Abstract Inspirational Others

समय

समय

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मैं समय हूँ।आदी से अनंत।मैंने सीता स्वंयवर देखा और राम का वनवास भी देखा।महाभारत का युद्ध देखा तो बुद्ध को भी देखा।सिकंदर का विश्वविजेता होने का सपना भी देखा तो हिटलर को देखा।मैं बस चल रहा हूँ, बिना किसी रुकावट से।

कबूतरों से सन्देश पहुंचते हुए देखा, तो राकेट को सुदूर अंतरिक्ष में जाते हुए भी देखा।खतों के लिए राह देखते हुए अपनों को देखा तो एस एम एस को भी उतने ही प्यार और सहजता से देख रहा हूँ।


इंटरनेट का मायाजाल देखते हुए मैं फेस बुक और व्हाट्सऐप के अनगिनत दोस्त भी देख रहा हूँ और साथ में दोस्तों की इस भीड़ में भी आदमी के अकेलेपन को मैं महसूस कर रहा हूँ ।


मैंने गुरुकुल की सिस्टम को भी देखा तो इग्नू की डिस्टेंस एजुकेशन और आजकल तो खान एकेडेमी को बड़े ही गर्व से देख रहा हूँ। पाण्डुलिपियो को देखते हुए किताबों की सूदर दुनिया को बड़े ही सहजता से किंडल में समाते हुए देख रहा हूँ।


कॉलेज कैंपस की मनमोहिनी दुनिया को राजनीति के हाथो से बदसूरत होते हुए भी देख रहा हूँ शायद मेरी नियति ही यही है निरपेक्ष रह कर सारी घटनाओ को देखते रहुँ......


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