स्मोकिंग किल्स : एक प्रेम कथा
स्मोकिंग किल्स : एक प्रेम कथा
मैं बिग बाजार से निकल कर ...सामने की सिगरेट शॉप पर खड़ा था . मुझे बिग बाजार से कुछ भी खरीदना नहीं था . मैं तो वहाँ सिर्फ टाइम पास करने गया था ....
अभी मैंने मुँह में सिगरेट दबा कर एक कश लिया ही था कि एक अत्यंत खूबसूरत ...अल्ट्रा मॉर्डन लड़की आयी और मेरे मुँह से सिगरेट खींच कर सड़क पर फेंक दी और बोली ......" अब तुम सिगरेट भी पीने लगे ? शर्म नहीं आती ...इसके पैकेट पर लिखा है ... स्मोकिंग किल्स ."
मैं हैरानी से उसका मुँह देखने लगा . मुझे पता था कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध है . फिर भी इस तरह से कोई किसी के मुँह से सिगरेट निकाल कर फेंकता है क्या ? फिर ये लड़की इतने अधिकार से " अब तुम सिगरेट भी पीने लगे " क्यों कह रही है मैं सड़क पर पड़ी सिगरेट को जूते से मसलता हुआ यही सब सोच रहा था कि वो बोली ..." मेरा मुँह क्या देख रहे हो ...चलो घर ..फिर बताती हूँ ."
मैं वहाँ से चुपचाप बिग बाजार की पार्किंग में पहुँचा .अपनी बाइक निकाली ...स्टार्ट किया और तभी वो लड़की मेरी बाइक के पीछे आकर बैठ गई और बोली ..."चलो " मैं तमाशा बनना नहीं चाहता था ...मैं चुपचाप चल तो दिया लेकिन मैं हैरान हो रहा था कि ये लड़की खामखा मेरे पीछे क्यों पड़ी है ?
एक गर्लफ्रेंड की तरह ...मेरी पीठ से चिपकी वो लड़की इस तरह बैठी थी ..मानो वो मेरी गर्लफ्रेंड ही हो .
बाइक मालरोड क्रॉस कर ...कम्पनी बाग पहुँची और एक तकरीबन सुनसान जगह पर मैंने बाइक रोक दी उतरो .."मैं बोला "
"क्यों ?"...वो बोली .
"देखो मैडम ! मैं तुम्हे जानता पहचानता नहीं . तुम कौन हो ? क्यों मेरे पीछे पड़ी हो ? जमाना खराब है ."वैसे भी मुझे अनजान लड़कियों से डर लगता है "
....मैंने कहा .
वो एक दिलफ़रेब हँसी हँस कर बोली ..."तो जनाब को लड़कियों से डर लगता है ! तो डरिये ...और गाड़ी आगे बढ़ाइए ."
"लेकिन मेरा घर यहाँ से एक किलोमीटर दूर है . मैं अपने घर जा रहा हूँ . तुम को कहाँ जाना है ?"....मैंने पूछा .
"आपके घर ही चलती हूँ . आपकी माँ को बताना है कि आप खुलेआम सिगरेट पी रहे थे" ....वो हँस कर बोली .
मैं उस सनकी लड़की से कैसे पीछा छुड़ाऊ ...मेरी समझ में नहीं आ रहा था .हार कर मैंने भी उसे अपने घर ले चलने का फैसला किया . मुझे अब वास्तव में डर लगने लगा था कि मैं किसी जाल में तो नहीं फँस रहा ...मैं इसकी बात न मानूँ तो जाने क्या हंगामा खड़ा कर दे ? घर ही सुरक्षित रहेगा .....
यही सब सोच कर मैं उसे लेकर अपने घर पहुँचा .
मैंने डोरवेल बजाई और मेरी मम्मी नें दरवाजा खोला उस अनजान खूबसूरत अल्ट्रामार्डन लड़की को मेरे साथ देख कर वो कुछ हैरान सी हुईं ..फिर प्रश्नसूचक आँखों से मुझे देखने लगीं . मैंने आँखे झुका लीं ...मैं आखिर उन्हें बताता भी क्या ?चाय पानी के दौरान ...ड्राइंग रूम में मेरे सामने मेरी मम्मी बैठी थीं और वो लड़की ..मेरी बगल में बैठी थी माँ की आँखों में मेरे प्रति सवालिया निशान साफ दिख रहे थे .फिर मम्मी नें ही बात शुरू की .
" हाँ ..तो बेटी ! क्या नाम है तुम्हारा ?"
मैं संभल कर बैठ गया . मुझे भी अब तक उसका नाम नहीं पता था .
" जी ..किंजल नाम है मेरा ."
माँ चुप होकर मेरे बोलने का इंतजार करने लगी कि मैं अब आगे कुछ कहूँगा लेकिन मेरे मुँह में तो मानो दही जम गया था .कुछ देर बाद किंजल बोली .."जानती हो मम्मी ! ये आज खुलेआम सड़क पर सिगरेट पी रहे थे . जबकि सभी जानते हैं ..स्मोकिंग किल्स...मैंने इनके मुँह से सिगरेट निकाल कर फेंकी और कहा ..घर चलो मम्मी से शिकायत करूँगी ".
अब मम्मी मुझे देखने लगीं ...मैं कभी कभार सिगरेट पीता हूँ ..ये बात घर में कोई नहीं जानता और मम्मी को सिगरेट तो क्या किसी भी नशीली चीज से सख्त नफ़रत है उन्होंने उस लड़की के सामने मेरी केवल पिटाई भर नहीं की बाकी मेरी बखिया उधेड़ने में कोई कसर न रखी .उससमय शाम के पाँच बजे थे और उसी समय मेरे एक क्लाइंट का फोन आ गया . फोन सुन कर मैं तत्काल ऑफिस के लिये निकल लिया .रात आठ बजे तक मैं अपने क्लाइंट के साथ बैठ कर पेपर वर्क करता रहा . काम ख़त्म कर मैं ऑफिस से निकला और मुझे उस सनकी लड़की किंजल की याद आ गई . मेरा दिल घबराने लगा .
रात नौ बजे मैं घर पहुँचा ...तो आश्चर्यचकित रह गया
वो लड़की मेरी माँ के साथ किचेन में थी और खाना बना रही थी . मेरी छोटी बहन उसके आगे पीछे घूम रही थी और खिलखिला कर हँस रही थी . पापा स्टडी में थे ...मैं हैरान परेशान ड्राइंग रूम में बैठा अपने जूते उतार रहा था ...और मेरी बहन मेरे लिये चाय लेकर आयी .
"भइया ! ये चाय आपकी फ्रेंड ने स्पेशल आपके लिये बनाई है ...वो मुस्कुराती हुई बोली ....आप तो छुपे रुस्तम निकले . अच्छा किया जो आप उन्हें घर ले आये . मुझे वे बहुत अच्छी लगीं ..." मैंने उसका कान पकड़ कर धीरे से कहा ...
"किसने कहा ...वो मेरी फ्रेंड है ...?"
"उन्होंने ही कहा ..".वो बोली .
"और तूने मान लिया ?"....मैंने कहा .
"हाँ ..न मानने की कोई वजह भी तो हो ...इतनी सुंदर स्मार्ट और संस्कारी लड़की ..भला झूठ क्यों बोलेगी ."
अब मैं और परेशान हो गया .डाइनिंग टेबल पर मेरा पूरा परिवार एकत्र था . मेरे पापा ..मम्मी ...बहन सभी थे और किंजल खानापरोस रही थी . उस समय उसने हरे रंग का सलवार सूट पहना था ...जो मेरी बहन का था और उस पर खूब खिल रहा था . कोई और समय होता तो मैं उस अनिंद्य सुंदरी के सौंदर्य का आनंद लेता लेकिन इस समय उसे अपने घर में देख ...मैं बहुत परेशान हो रहा था . मेरे मुँह पर हवाइयाँ उड़ रही थीं . भोजन बहुत स्वादिष्ट था पर मुझसे खाया नहीं जा रहा था .अंततः पापा मुझे ध्यान से देखते हुए बोले ....क्या हुआ ..खाना ठीक से नहीं खा रहे हो ?
"जी ..कुछ नहीं ..कुछ नहीं" और मैं बगलें झाँकने लगा
तभी मम्मी बोलीं ..".परेशान न हो बेटा ! तूने किंजलको घर लाकर कोई गलती थोड़ी की है . बल्कि हम तो बहुत खुश हैं ...इसे अपनी बहू बनाने में मुझे तो कोई आपत्ति नहीं ...तू बिलकुल परेशान न हो , तूने कुछ गलत नहीं किया . इतनी सुंदर ..पढ़ी लिखी और संस्कारी बहू तो बड़े भाग्य से मिलती है .इसने हम सब का दिल जीत लिया "
मैं आसमान से गिरा ..."तो बात यहाँ तक पहुँच गई ?"
रात में किंजल मेरी बहन के साथ सोई .सुबह आठ बजे चाय नाश्ता कर ......वो मम्मी से बोली ...मम्मी ! अब मैं घर जाऊँगी ..मेरे मम्मी पापा परेशान हो रहे होंगे .
" बेटी ..फोन कर दे मम्मी को" ....मम्मी बोलीं
"बताऊंगी मैं मम्मी को ...कि मैं कहाँ हूँ ?"....वो लजाती हुई बोली .
"तो अब जाकर क्या कहोगी ?"..मम्मी बोलीं .
"कह दूँगी ..किसी सहेली के साथ उसके घर चली गई थी" ..और कनखियों से मुझे देख ...हँसने लगी .
"ठीक है बेटी ..जा . लेकिन पहले बता फिर कब आयेगी ?..".मम्मी बोली .
"जब ये लेकर आयेंगे ?"....वो बोली .
माँ खुश हो गई और उसकी इस तरह विदाई की मानो वो वास्तव में उनकी बहू ही हो . कैब बुलाई गई और वो चली गई .मैं भी ऑफिस जाने का बहाना कर खिसक लिया . मेरी ताब नहीं थी कि मैं किसी सवाल का जवाब दे सकूँ .
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तीन महीने बाद......
माँ इस बीच सैकड़ों बार किंजल के विषय में पूछ चुकी थी ...लेकिन मेरे पास उनके सवालों का कोई जवाब ही नहीं था .एक दिन ...शाम को किंजल ...मेरे घर आयी और माँ ने उसका शानदार स्वागत किया . इस बार पूरे चौबीस घंटे रुक कर ...किंजल वापस तो चली गई लेकिन मेरा सुख चैन हर ले गई ....
जो बात इन तीन महीनों में मैं भूल चुका था फिर ताजा हो गई ..मेरा दिल घबराने लगा .
एक महीना बीता होगा कि एक दिन किंजल अपनी मम्मी के साथ मेरे घर पहुँची ...उसकी मम्मी से मिल कर मेरी मम्मी बहुत खुश हुईं दिन भर रुक कर वे माँ बेटी वापस चली गईं .अब मेरे अंदर एक भयानक खलबली मच गई .. "हो न हो ..मुझे ये लड़की किसी भयानक जाल में फँसा रही है ......."
उस दिन.....
शाम का समय था . मैं बिग बाजार के सामने सिगरेट शॉप पर खड़ा था ...मेरे मुँह में सुलगती हुई सिगरेट थी ....
के झोंके की तरह अचानक वो लड़की आयी ...मेरे मुँह से सिगरेट निकाल कर फेंकी .... और बोली ....स्मोकिंग किल्स ..चलो.. मम्मी को बताती हूँ .
उस दिन मैंने तय कर लिया ...आज मैं इस लड़की का दिलेरी से मुकाबला करूंगा अब पानी सिर के ऊपर जा रहा है .
वो छिपकली की तरह मेरी पीठ से चिपकी थी ... बाइक हवा से बात करती ...नेशनल पार्क पहुँची .
मैंने एक ब्वाय फ्रेंड की तरह उसका हाँथ पकड़ा और उस सुनसान पार्क की एक एकांत बेंच पर उसकी बगल में बैठ कर बोला ..."सच बताना किंजल ....
ये सब क्या है ? मैं तुमको जानता नहीं ..पहच ...."
"क्यों ?...मेरा नाम ले रहे हो ! तुम्हारा परिवार मुझे जानता और पहचानता है .अब मैं अजनबी कैसे हुई ?"...वो बोली .
"सच बताओ ...इस तरह मेरे पीछे पड़ने की वजह क्या है ?"....मैंने परेशान स्वर में पूछा .
"ठीक है ...बताती हूँ ...सुनो ...."
"मैं बिग बाजार की स्टोर इंचार्ज हूँ . मेरी अभी नई पोस्टिंग है .उस दिन जब पहली बार तुम मुझे मिले तो ..."
"मैं कहाँ मिला ?...तुम मिली ..."मैं उसकी बात काट कर बोला
"वही वही ...ठीक है ...मैं मिली" ...जबरदस्ती मिली .दो गुंडे टाइप के लड़के जिनमे से एक की शक्ल पर तो चाकू का लम्बा निशान था ...उसकी शक्ल से ही लगता था कि वो गुंडा है ...उस दिन सुबह से ही मेरे पीछे लगे थे ..चूंकि मेरी नई नई पोस्टिंग थी इसलिये संकोचवश किसी से मदद भी नहीं मांग सकती थी .
"तो तुम संकोची हो ?" मैं बोला .
"अरे ! सुनो तो ...वो बोली ...दोपहर लंच के समय मैं बाहर आयी तो वे दोनों वहाँ भी मेरा पीछा करते आ गये ....लेकिन बाजार के अंदर तो टाइट सिक्योरिटी है . सी सी कैमरे हैं ...वहाँ स्टोर में कोई जाकर तुम्हे कैसे परेशान कर सकता है ?."..मैंने सशंकित होकर कहा .
"अरे ...घर से बिगबाजार तक कौन सी सिक्योरिटी है ? वो बोली ....तुम ..मेरी पूरी बात तो सुनो .. उन्हें अपने पीछे लगा देख ...मैं घबरा गई और तुम्हारी बाइक पर बैठ तुम्हारे घर इसलिए चली गई क्योंकि वे गुंडे तब भी पीछे लगे थे ..जब बाइक कम्पनी बाग से गुजर रही थी ...खैर ..कुछ ही देर बाद पीछा छूट गया और मैं तुम्हारे घर पहुँच गई ..."
"अब गुंडे पीछा नहीं करते ?"..मैंने पूछा .
"नहीं ..अब तो मम्मी मुझे छोड़ जाती हैं ..शाम को ले जाती हैं ...आज तुम्हे देखा तो मम्मी को मना कर दिया ."
"ठीक है ..पहली बार तो तुम गुंडों की वजह से मेरे घर पहुँची ..लेकिन दोबारा ?"
"क्योंकि मुझे तुम्हारी फैमिली से प्यार हो गया है".....वो बोली .
""फैमिली से ?."..मैंने कहा .
"हाँ ..कितनी अच्छी हैं तुम्हारी मम्मी ..और बहन गुड़िया ....पापा तो बहुत अच्छे हैं"..."तुम तीसरी बार अपनी मम्मी को भी साथ ले आयी ?"...मैंने उसकी बात काटी .
"हाँ ..ले आयी ..मैं अपनी मम्मी को तुम्हारी मम्मी से मिलवाना चाहती थी"...वो बोली .
"क्यों ?"..मैंने कहा .
"पहले ये बताओ ..मैं तुम्हे कैसी लगती हूँ ?"....उसने पूछा .
"ठीक ठाक तो हो" ...मैंने कहा .
"बस ...ठीक ठाक ...'
"हाँ"
"अरे ! ये सोच कर बताओ कि मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ ?'...उसने कहा .
''क्या ? मैं हैरानी से उसका मुँह देखने लगा .
"हाँ ..मुझे तुम्हारी फैमिली से प्यार हो गया है इसलिये तुमसे शादी करना चाहती हूँ ...मैं जानती हूँ तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है ...जल्दी हाँ बोलो ...वरना मैं तुम्हारी मम्मी से बात करती हूँ ."..अभी ..वो बोली .
"तुमसे किसने कहा ..कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है ?"....मैंने कहा .
"क्या ?...कोई है ?."..वो बोली .
"हाँ .".मैं बोला .
"कौन है वो ?.."वो उदास होकर बोली .
"अरे ! तुम हो न मेरी गर्ल फ्रेंड जिसे मेरी माँ भी अपनी बहू बनाना चाहती है और जिसे मेरा परिवार बहुत पसंद करता है ."
"क्या मतलब ?"...वो बोली
"भई ..तुम मुझे पसंद हो ..मेरी फैमिली को पसंद हो मुझे क्यों ऐतराज होगा ?...मैं मुस्कुराया .
उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए ..और वो उन्हें छिपाने के लिये वाशरूम चली गई ...एक सार्वजनिक स्थान पर उसे कोई रोता देखे ...वो ये नहीं चाहती थी .मैंने मुस्कुराते हुए बेंच से टेक लगाई ...एक सिगरेट सुलगाई ..होठों में दबाई ...
वो मुँह पोंछते हुए आयी ...और मेरे मुँह से सिगरेट निकाल कर फेंकते हुए बोली ...स्मोकिंग किल्स... चलो घर मम्मी को बताती हूँ.......

