सीधा-साधा सच्चे दिल वाला इंसान
सीधा-साधा सच्चे दिल वाला इंसान
आओ दोस्तों तुमको एक कहानी सुनाऊँ।
एक सीधे सच्चे दिल वाले इंसान से मिलाऊं था वो सीधा सच्चा दिल वाला इंसान। कभी ना हो किसी का दिल दुखाता। मगर अपने उसूलों से कोई समझौता ना करता। अपने स्वाभिमान को है कभी ना छोड़ता। अपने ऑफिस का था वह बॉस लोग सोचते यह तो है एकदम सीधा। इसको बातों में उलझा कर काम निकलवाना है एकदम सीधा। बातें भी एकदम मीठे से करता है। कभी नहीं वह हम से लड़ता है। उन लोगों ने गणित शायद गलत लगाई थी।
सच्चे सीधे दिलवाले की सिधाई उनको रास ना आई थी। तरह-तरह के दाव पेच खेल वे अपना उल्लू सीधा करना चाहते थे। मगर हाय रे उनकी फूटी किस्मत जब पड़ा पाला। बॉस से छठी का दूध याद आ गया। उन्होंने कभी सोचा ना था कि यह सीधा देखने वाला इंसान अपने उसूलों का इतना पक्का निकलेगा। अपने अनुशासन में कोई कोताही नहीं बरतेगा। काम में कोई समझौता ना वह करने देगा। अपने स्वाभिमान से कोई समझौता ना वह करेगा
जितना काम जिसको देगा उतना उसको पूरा करके देना होगा। एक दो जने कुनमुनाए। अलग-अलग जाकर ग्रुप बनाए। लड़ने की तैयारी कर जाए।
मगर वह कुछ कर ना पाए। लौट के बुद्धू घर को आए। अपने काम को अच्छे से निपटाए। बॉस ने बोला तुम क्या समझते हो सीधा सच्चे दिल वाला हूं ।
मगर मूरख नहीं हूँ। मुझे इंसानों का लंपट लोगों का पता लगता है। चाटुकार लोगों का भी पता लगता है। कौन काम करता है। कौन नहीं करता सब पता लगता है। उसूलों से कोई समझौता नहीं। जो ढंग से रहोगे तो इज्जत पाओगे। नहीं तो दरवाजा खुला पड़ा है, बाहर के रास्ते अपने आप को पाओगे।
कद्र उसी की होती है जो दिल देकर काम करता है। सच्चे दिल से अच्छे दिल से लोगों के साथ व्यवहार करता है। लोगों को समझ में यह बात आई और उसका काम भी अच्छी तरह चलने लगा। अब कोई शिकायत का मौका ना देता क्योंकि लोग उससे डरने जो लगे थे कि काम में कोताही नहीं चलेगी।
नहीं तो अनुशासनात्मक कार्यवाही चलेगी। धीरे-धीरे लोगों के समझ में आने से। और वही लोग अब अपने बॉस के गुण गाने लगे। लोगों ने बहुत से मधुर संबंध बनाए। उनके सीधे साधे दिल में अपनी जगह को बनाया। और ऑफिस का वातावरण एकदम मस्त बनाया। कहती है विमला सीधे सच्चे दिल वाले इंसान को अच्छा समझो सच्चा समझो। मगर बेवकूफ कमजोर मूर्ख ना समझो। नहीं तो मुंह की खा जाओगे। बाद में पछताओगे।
