शिव मंदिर के लिय निकला और
शिव मंदिर के लिय निकला और
दोस्तों मैं सोच लिया की कल हमारे गांव के नजदीक कुछ किलोमीटर दूर एक बहुत ही पुराना शिव मंदिर है मैं ठान लिया की कल सवेरे जल्दी भोर होने के पहले शिव मंदिर जा के भगवान शिव शंकर का आशीर्वाद ले लूंगा। मैंने बड़े घमंड के साथ यह बात मेरे दोस्त राज को बताई तो राज बोला दोस्त सबेरे जल्दी जाना तुम्हारे लिए ठीक नहीं है।
तुम भोर के समय वहाँ जा के भगवान शिव के दर्शन लो, यह सुनकर मुझे गुस्सा आया । जाऊंगा तो कल ही और वह भी सवेरे, देखता हूं क्या होता है। मैं किसी चीज से नहीं घबराता हूं।
दोस्त बीना कुछ बोले चला गया। अगली सुबह पांच बजे के समय मैं अपनी साइकिल ले के निकला। बहुत ही अंधेरा था और ठंड भी बहुत थी। मैं मन ही मन भगवान शिव का नाम का जप करते हुए आगे जा रहा था।
ठंड का महीना था .. रास्ता सुनसान पड़ा था ... ठंडी हवाएँ बदन को छू कर शरीर में कंपकंपी ला रही थी मैं ठंड से काँप रहा था । कुत्तों की भोंकने से पूरा वातावरण डरावना लग रहा था। शायद मेरा दोस्त ठीक ही कह रहा था । मेरा ज़िद मुझे भारी पड़ रहा था।
साइकिल से मैं आधे ज्यादा सफर काट कर मैं मंदिर के पास आ गया था वहाँ पर 15 या16 कुत्ते मेरा रास्ता रोके खड़े थे। मैं बहुत दर गया अब क्या करे। मैं अब वापस नहीं लोट सकता था इसलिए मैंने मन ही मन भगवान शिव को याद कर के साइकिल को तेज चलता हूं कुत्तों के बीच से निकल रहा था। कुत्ते मुझे काटने मेरे पीछे दौड़ रहे थे मैं पूरी ताक़त से साइकिल तेज भगा रहा था। कुछ दूर तक कुत्तों ने मेरा पीछा किया उसके बाद वह रुक गए।
Finally मैं मंदिर पहुंच गया। वहाँ पर एक बूढ़ी औरत मुझे बोली बेटा भगवान के लिए कुछ फूल हार ले लो मैं यह नहीं समझ पा रहा था की इतने सुबह यह बूढ़ी औरत फुलहार बेच रही हैं जब की वहाँ की अन्य दुकान बंद थी। मैंने उसे फुलहार ले के मंदिर के अंदर गया तब वहाँ मेरे अलावा वहाँ पर कोई नहीं था । मैं मंदिर अंदर वाले भाग मैं जा रहा था। मंदिर में अगरबत्ती और धूप का धुआं बाहर ओर आ रहा था। मेरी धड़कने बड़ रही मैं सीढ़ी से नीचे की ओर जा रहा था। धुआं और एक अच्छे सुगंध से पूरा मंदिर महक रहा था।
मैं शिव लिंग के सामने बैठ गया शिव लिंग के ऊपर पांच मुख वाले नाग के फन देख के मेरे सास रुकते जा रही थी । मंदिर में मानो एक अजीब माहौल था । ऐसा प्रतीत हो रहा थी की कोई मुझे देख रहा है।
मैंने आंखें बंद कर भगवान का ध्यान कर था तो मुझे ऐसा लगा जैसे वह नागों का राजा मुझे सूंघ रहा है। सुबह के ठंड मौसम मैं मेरा पसीना निकल रहा था। मैं कुछ महसूस कर रहा था जैसे वहाँ पर कोई दिव्य शक्ति मेरे को डराना चाहती थी। किंतु मैं हिम्मत बना के रखी थी।
दर्शन के बाद मुझे काफी प्रसन्न और ताजगी महसूस हो रही थी। मंदिर के बाहर आया तो मुझे एक ब्राह्मण मिला और पूछा बेटा पूजा हो गई । मैं हाँ बोल के उनके चरण स्पर्श किया। मंदिर के बाहर आया साइकिल पर बैठा मगर मेरी नजर उस बूढ़ी फुलहार बेच ने वाली को ढूंढ़ रही थी। उसे ना देखा तो दुकान वालों से पूछा की वह बूढ़ी किधर है। उन्होंने कहा कि यहां पर कोई बूढ़ी फुलहार बेच थी। मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैं साइकिल से आगे उस जगह आया जहां पर वह कुत्ते मेरा पीछा कर रहें थे, मगर वहाँ पर कोई कुत्ते नहीं थे।
शायद भगवान शिव मेरी परीक्षा ले रहे थे। और साथ मुझे कुछ समझना चाहते थे। मैं अब सब समझ गया था।
ओम नमः शिवाय।