शीर्षक_"दर्द एक रंग अनेक"

शीर्षक_"दर्द एक रंग अनेक"

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"श्यामली कैमरे की तरफ देखो.... हां अब ठीक है"

श्यामली.. हां यही जाना माना नाम तो था मॉडलिंग की दुनिया का । श्यामली आज डायमंड के शोरूम में गहनों का विज्ञापन करने के लिए मॉडलिंग के लिए आई थी। रोहन उससे निर्देश दे रहा था और वह अपने अभिनय से और भाव मुद्रा से उस विज्ञापन को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही थी। रोहन का सहयोग पाते पाते श्यामली उसे सब कुछ समझने लगी।रोहन का बर्ताव इतना प्यार भरा होता की श्यामली सब कुछ भूल बैठी और अपने आप को रोहन को समर्पित कर दिया। रोहन ने कहा विज्ञापन के लिए यह जगह सही नहीं है , कहीं आउटडोर चलते हैं आउटडोर की हरियाली और मौसम देखकर श्यामली आनंद विभोर हो उठी। श्यामली अपना फोटोशूट देने में व्यस्त थी।अपना मेकअप ठीक करने गेस्ट रूम लौटी, तभी उसकी नजर दूसरे कमरे में कांच की खिड़की से रोहन पर पड़ी जो एक जूनियर मॉडल के साथ हंसी मजाक करते हुए कुछ ज्यादा ही नजदीक हो रहा था। फोटोशूट में असहज महसूस करने लगी, पसीना आ गया उसे.….. घबराकर उसने फोटोग्राफर को मना कर दिया और भागती हुई अपने कमरे में पहुंची। औंधे मुंह बिस्तर पर गिरकर रोने लगी क्या यही प्यार है?तभी रोहन उसके कमरे में पहुंचा वो तो यूं था जैसे कुछ हुआ ही नहीं और इधर श्यामली का तो प्यार का घरौंदा ही बिखर गया!


जैसे ही वह उस पर झुका श्यामली का मन वितृष्णा से भर उठा ....अभी तक जिसे वह प्रेम का देवता समझ रही थी,एक वहशी भेड़िया नजर आ रहा था जो अति महत्वकांक्षी लड़कियों 

का मदद के बहाने शारीरिक शोषण करता था।क्या औरत का दिल नहीं होता?कोई अस्तित्व नहीं होता ,सिर्फ देह होती है।पुरातन से लेकर आज तक औरत का किसी ना किसी रूप में दोहन ही हुआ है। किसी ने देह से परे उसके अंदर झांकने की कोशिश नहीं की कि वह सिर्फ सच्चा प्यार चाहती है.......रोहन को परे धकेल वह सपनों की दुनिया से निकल कर यथार्थ की दुनिया में आ गई... "अरे मैं ये कैसे भूल गई कि यह तो मॉडलिंग की दुनिया है जिसकी जिंदगी थोड़ी सी होती है" जूनियर वर्तमान हो जाएगी और मैं अतीत।"



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