मदद के हाथ
मदद के हाथ
अरे ! ये दूध नहीं है पानी है मोती बड़ी हसरत से श्वान के बच्चे को पानी की बोतल की तरफ निहारते देख अर्धविक्षिप्त भिखारी बोला !
नहीं नहीं वो भिखारी नहीं एक ईमानदार शासकीय कर्मचारी था जिस पर रिश्वत का झूठा इल्जाम लगने की वजह से मानसिक संतुलन खो गया था।
कभी कभी तो वह बड़ी ज्ञान की बातें करता और कभीअनाप शनाप बकने लगता।
कुत्ते के पिल्ले को बोतल से पानी पिलाते हुए बड़बड़ा रहा था ! ये दुनिया बड़ी खराब है मोती। तुझे भी दुत्कार के भगा देती है और मुझे भी दुत्कारते हैं।
अरे हम कोई पैसे थोड़े ही मांगते हैं रोटी और पानी ही तो चाहिए हमें। ये महलों वाले क्या जाने भूख प्यास क्या होती है ? ये तो होटलों में और शादियों में बचा खाना फेंकते हैं। चल दोनों थोड़ा थोड़ा पानी पीकर सो जाते हैं।
पास की दीवार सुन और समझ रही थी कि होश वाले संवेदनहीन पैसे वाले लोगों से अमीर तो ये अर्धविक्षिप्त है जिसमें प्राणियों के प्रति संवेदना तो है।