"जियो तो ऐसे जियो"

"जियो तो ऐसे जियो"

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पांडिचेरी (पुडुचेरी) के आश्रम में मेडिटेशन रूम से बाहर निकलकर अपने पर्स में से उन सुर्ख लाल कपडे पहने वयोवृद्ध महिला ने आइना निकाला और काजल , लिपिस्टिक लगाकर जूड़ा खोलकर बाल संवारकर मुस्कुराकर आइने में देखा ।मुझे उन्हें निहारते देख बोलीं "क्या देख रही हो डियर?",यही ना कि खंडहर तो अच्छा है इमारत भी बहुत खूबसूरत होगी।"मैंने कहा नहीं मैम मै तो आपको पहचानने के कोशिश कर रही हूं क्या आप मशहूर अभिनेत्री स्वप्ना हैं,?पर आप गुमनामी का जीवन क्यों जी रहीं है? आपने शादी नहीं की?"

"माय गॉड इतने प्रश्न एक साथ , तुमने मुझे पहचान लिया ये ऊपर वाले की अनन्य कृपा है ।बहुत मेहनत की ,दौलत शोहरत कमाई सारी दुनिया मुझे प्यार करती थी पर मै जिसे प्यार करती थी उसे पा ना सकी वो भी मुझे बेइंतेहा चाहता था वो मजबूर था और मैं भी किसी के घरौंदे को रौंदकर अपना आशियाना बनाना नहीं चाहती थी। उम्र भी बढ़ रही थी, फिल्में कम होने लगी थी ,मां और बहन के रोल ऑफर होने लगे। कुछ रोल मैंने किए भी पर मुझे अपनी कलात्मकता के साथ अन्याय लगा। पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, पर चाहत नहीं इस अधूरी चाह ने मुझे बंजारा बना डाला अध्यात्म से मेरी जिंदगी में परम आनंद की अनुभूति हुई अब ना सुख की चाह है ना दुख से तकलीफ क्योंकि" कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता"। मै जिंदादिली से जी रही हूं,और हां मैं उसकी याद में सजती संवरती हूं क्योंकि उसे पसंद था।वैसे भी अभिनेत्री हूं मेकअप मेरे वजूद का हिस्सा है। हर उम्र की अपनी गरिमा है । मैंने अपना काम मेहनत और ईमानदारी से किया है और उम्र के हर मोड़ को जिंदादिली से जिया है। मुझे किसी बात की कोई शिकायत नहीं है।अनेक देश घूम चुकी हूं और उनकी आध्यात्मिक धरोहर से नाता जोड़ चुकी हूं। अधूरी मोहब्बत इंसान को और भी मजबूत बना देती है।"


मैं सोच रही थी की एक भूतपूर्व अभिनेत्री से हुई चंद घंटों की मुलाकात ने मुझे जीवन का कितना बड़ा दर्शन करा दिया। शाश्वत सत्य से रूबरू होकर मैंने अपने अंदर अजीब सी स्फूर्ति का अनुभव किया। स्त्री और श्रृंगार का चोली दामन का साथ है जो दिल चाहे पहने और खूब सजसंवर कर रहे । मन मारकर जिए तो क्या जिए बस यह ध्यान रहे कि अपने किसी कार्य से दूसरे का दिल ना दुखे।


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