STORYMIRROR

Madhu Kaushal

Drama

3  

Madhu Kaushal

Drama

"दायरे "

"दायरे "

2 mins
365


सारे कारपोरेट जगत का बादशाह था नितिन। सारी कंपनियां उससे जुड़ने के लिए आतुर रहती थी यह रुतबा उसे आसानी से हासिल नहीं हुआ था बहुत मेहनत की थी उसने छोटी सी कंपनी को इस अर्श पर पहुंचाने के लिए।मातहतों का खुदा और गरीबों का मसीहा था वो।किसी की बेटी की शादी हो या गर्भवती महिलाओं की सहायता उसके द्वार हमेशा मदद को खुले रहते थे।माता पिता पैसे के अभाव में बीमारी से लाचार हो काल के ग्रास में समा गए पिता के मालिक ने पढ़ा लिखाकर बड़ा किया।मालिक की बेटी मालिनी उसकी सादगी और ईमानदारी पर फिदा थी।हर वक्त उस छेड़ती रहती।जवानी की तरफ बढ़ते कदम कब तक न बहकते।वह भी उसके रूप लावण्य और चंचल स्वभाव की गिरफ्त में आ गया ।दोनों को एक दूसरे का साथ भाने लगा।मालिनी के पिता का साथ देते देते वह उनकी आदत बन चुका था।एक दिन वो नितिन से बोले मेरे दोस्त के बेटे से मैंने मालिनी की शादी तय कर दी है सारी व्यवस्था तुम्हें करनी होगी मेरी कंपनी बनाने में उस दोस्त का बड़ा हाथ है।उसका कर्ज है मुझपर। नितिन का नशा फुर्र हो गया उसे भी अहसास हुआ .... मुझपर भी तो मालिक का कर्ज है उनकी इच्छा पूरी करनी होगी मालिनी और नितिन ने भरी आंखों से एक दूसरे से जुदा होना मंजूर कर लिया।मालिनी की शादी के बाद मालिक ने कंपनी का सारा जिम्मा नितिन को सौंप दिया।अपनी मेहनत से उसने कंपनी को शिखर पर पहुंचा दिया।सब कुछ उसके पास था आज पैसा,रुतबा,हसीन दुनियां जहां एक से बढ़कर एक सुंदर लड़की उसकी राहों में नज़रें बिछाए रहती थी।जिस फूल पर हाथ रख दे वही उसका हो जाए पर मालिनी के सिवा उसे किसी की चाहत नहीं रही ये अहसानों का कर्ज और चाहत की जंजीर भी कदम रोक लेती है।"आज सारी दुनिया उसकी मुट्ठी में थी पर वो मालिक के कर्ज और चाहत के दायरे से खुद को मुक्त नहीं कर पा रहा था"।अजीब बच्चे सी जिद है इंसान की "या तो सब कुछ चाहिए,नहीं तो कुछ भी नहीं"......



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama